सुस्मित सरसों, मधुमित-मुखरित सरसों!
पीत, आंचल संग,
बांध गई, बरसों पहले,
जो सरसों!
सुस्मित सरसों, मधुमित-मुखरित सरसों!
धुंधलाती कोहरों में, कभी छुप जाए,
शर्माए, दुल्हन सी,
अनुरक्ति और बढ़ाए,
ये, सरसों!
सुस्मित सरसों, मधुमित-मुखरित सरसों!
यूं भटकाए राह, यूं पथिक उलझाए,
खैंच लाए, बर्बस,
हिय, हर्षित कर जाए,
वो सरसों!
सुस्मित सरसों, मधुमित-मुखरित सरसों!
हर्षाए धरा, झूम हरितिमा इठलाए,
झूमे, बिखरी घटा,
बिखेरे, स्वर्णिम छटा,
यूं, सरसों!
सुस्मित सरसों, मधुमित-मुखरित सरसों!
अरसों, दामन फैलाए देती निमंत्रण,
सिक्त, आंचल संग,
भीगो गई, बरसों पहले,
वो सरसों!
सुस्मित सरसों, मधुमित-मुखरित सरसों!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 12 फरवरी 2024 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
वाह
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
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