अविस्मरणीय सी कुछ स्मृतियाँ......
या शीतल सुखदायी, या हों अति-दुखदायी,
अविस्मृत,अक्षुण्ण अनंत काल तक रवाँ,
बिसारे बिसरती है ये कहाँ?
अंश कुछ स्मृतियों के रहते हैं बाकि......
या मीठी हो ये स्मृतियाँ, या हों ये खट्टी!
स्मृति कुछ ऐसी ही हूँ मैं भी,
है बहुत मुश्किल भुला देना, यूँ ही मुझको भी!
माना, पत्थर सी शक्ल है हृदय की तेरी,
पर कहीं शेष रह न गई हों यादें मेरी?
टटोल लेना अपनी हृदय को तुम.....
निशान मेरी स्मृति के तुम पाओगे वहाँ भी!
आड़ी-टेढ़ी लकीरों सी पत्तों पर अंकित,
ये पल पल सूख सूख गहराएँगी होकर अमिट,
मानस पटल जब कुरेदोगे तुम ....
उभर आएँगी दबी सी मासूम स्मृतियाँ मेरी!
अक्षुण्ण हूँ हर पल तेरे मन में मैं,
अभिन्न तुझसे हूँ, तेरी यादों की तरंग में हूँ मैं,
साँस -साँस जीता हूँ मैं तुझमें....
झुठला ना पाओगे, स्मृति बिसार न पाओगे मेरी!
या शीतल सुखदायी, या हों अति-दुखदायी,
अविस्मृत,अक्षुण्ण अनंत काल तक रवाँ,
बिसारे बिसरती है ये कहाँ?
अंश कुछ स्मृतियों के रहते हैं बाकि......
या मीठी हो ये स्मृतियाँ, या हों ये खट्टी!
स्मृति कुछ ऐसी ही हूँ मैं भी,
है बहुत मुश्किल भुला देना, यूँ ही मुझको भी!
माना, पत्थर सी शक्ल है हृदय की तेरी,
पर कहीं शेष रह न गई हों यादें मेरी?
टटोल लेना अपनी हृदय को तुम.....
निशान मेरी स्मृति के तुम पाओगे वहाँ भी!
आड़ी-टेढ़ी लकीरों सी पत्तों पर अंकित,
ये पल पल सूख सूख गहराएँगी होकर अमिट,
मानस पटल जब कुरेदोगे तुम ....
उभर आएँगी दबी सी मासूम स्मृतियाँ मेरी!
अक्षुण्ण हूँ हर पल तेरे मन में मैं,
अभिन्न तुझसे हूँ, तेरी यादों की तरंग में हूँ मैं,
साँस -साँस जीता हूँ मैं तुझमें....
झुठला ना पाओगे, स्मृति बिसार न पाओगे मेरी!