बहते चिनाब से,
मिल गई, इक किताब!
उम्र, जो है अब ढ़ली,
सोचता था,
गुजर चुकी है, अब वो गली,
अब न है राफ्ता,
शायद, अब बन्द हो वो रास्ता,
पर, टूटा न था वास्ता,
रह गईं थी,
कुछ यादें, वही मखमली,
संग-संग चली,
उम्र के इस चिनाब में,
इक किताब सी,
मन में,
ढ़ली वो मिली!
बहते चिनाब से,
मिल गई, इक किताब!
बातें वही, बहा ले गई,
यादें पुरानी,
नई सी लगी, थी वो कहानी,
फिर बना राफ्ता,
पर, अब तो बन्द था वो रास्ता,
रह गया था, इक वास्ता,
वो किस्से पुराने,
यादों में ढ़ले, वो ही तराने,
अब सताने लगे,
वो पन्ने, फरफराने लगे,
बंद किताब की,
हर बात,
तड़पाती ही मिली!
बहते चिनाब से,
मिल गई, इक किताब!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
मिल गई, इक किताब!
उम्र, जो है अब ढ़ली,
सोचता था,
गुजर चुकी है, अब वो गली,
अब न है राफ्ता,
शायद, अब बन्द हो वो रास्ता,
पर, टूटा न था वास्ता,
रह गईं थी,
कुछ यादें, वही मखमली,
संग-संग चली,
उम्र के इस चिनाब में,
इक किताब सी,
मन में,
ढ़ली वो मिली!
बहते चिनाब से,
मिल गई, इक किताब!
बातें वही, बहा ले गई,
यादें पुरानी,
नई सी लगी, थी वो कहानी,
फिर बना राफ्ता,
पर, अब तो बन्द था वो रास्ता,
रह गया था, इक वास्ता,
वो किस्से पुराने,
यादों में ढ़ले, वो ही तराने,
अब सताने लगे,
वो पन्ने, फरफराने लगे,
बंद किताब की,
हर बात,
तड़पाती ही मिली!
बहते चिनाब से,
मिल गई, इक किताब!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
बहुत सुन्दर. किताब की मोहक कल्पना शानदार है.
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (13 -07-2019) को "बहते चिनाब " (चर्चा अंक- 3395) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
शुक्रिया आदरणीया ।
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 12 जुलाई 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteशुक्रिया आभार आदरणीय ।
Deleteअति सुंदर लेखन
ReplyDeleteशुक्रिया आभार आदरणीया ।
Deleteमन के एहसासों का बहुत सुंदर चित्रण दिल तक उतरती मोहक पंक्तियाँ।
ReplyDeleteशुक्रिया आभार आदरणीया ।
Deleteजीवन भी एक किताब ही है। सुंदर कल्पना।
ReplyDeleteशुक्रिया आभार आदरणीया ।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteशुक्रिया आभार आदरणीय ।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteशुक्रिया आभार आदरणीया ।
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