Monday, 19 April 2021

नारायण ही जाने

हम तो ठहरे, अन्जाने,
नारायण ही जाने, वो क्या-क्या जाने!

इक उम्र को, झुठलाते,
विस्मित करती, उनकी न्यारी बातें,
कुछ, अनहद प्यारी,
कुछ, उम्मीदों पर भारी!

नारायण ही जाने......

बातें, या जीवन दर्शन,
वो ओजस्वी वक्ता, हम श्रोतागण,
वो शब्द, अर्थ भरे,
जाने क्यूँ, निःशब्द करे!

नारायण ही जाने......

उनकी, बातों में कान्हा,
उनकी, शब्दों में कान्हा सा गाना, 
शायद, वो हैं राधा,
व्यथा, कहे सिर्फ आधा!

नारायण ही जाने......

जाने वो, क्षणिक सुख!
पर वो, भटके ना, उनके सम्मुख,
अनबुझ सी, प्यास,
या, प्रज्ज्वलित सी आस!

नारायण ही जाने......

हम तो ठहरे, अन्जाने,
नारायण ही जाने, वो क्या-क्या जाने!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

14 comments:

  1. आदरणीय सर सादर प्रणाम 🙏
    निःशब्द हूँ आपकी यह रचना पढ़कर। यह कुछ नही बस आपकी लेखनी का कमाल है जो इतनी सहजता से आपने एक साधारण सी वार्ता को यूँ पंक्तिबद्ध कर विशेष बना दिया और इस मूढ़ी,अज्ञानी के अज्ञानता भरे शब्दों को इतनी सुंदरता से प्रस्तुत करते हुए मुझ अकिंचन को फ़र्श से अर्श पर बैठा दिया। यह मेरी मूर्खता ही थी जो आपके अथाह ज्ञान और अनुभव के सामने अपने तुच्छ ज्ञान का पिटारा खोल कर बैठ गए। मेरी इस नादानी को क्षमा करिएगा सर। यह आप जैसे कलमकारों के ही वश में है मुझ जैसे राह भटके धूल को मंदिर का फूल लिख देना। आपकी लेखनी को बारंबार प्रणाम करती हूँ और आपको सादर आभार व्यक्त करती हूँ।
    अपना आशीष और मार्गदर्शन बनाए रखिएगा सर इसी कामना के साथ सादर प्रणाम शुभ रात्रि 🙏

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    1. बहुत कम ही लोग प्रभावित कर पाते हैं जीवन में,आप उनमें से हो।
      सरस्वती की प्रतिपूर्ति। ।।।।
      आपके उज्जवल भविष्य की कामना है , शुभाशीष

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 21 अप्रैल 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बातें, या जीवन दर्शन,
    वो ओजस्वी वक्ता, हम श्रोतागण,
    वो शब्द, अर्थ भरे,
    जाने क्यूँ, निःशब्द करे!
    बहुत भावपूर्ण , बाकी नारायण जाने ।

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  4. आदरणीय सर, रामनवमी के शुभ अवसर पर श्री हरि को समर्पित बहुत सुंदर रचना। सच नारायण की बातें नारायण ही जानें और हमें केवल अपनी शरण दे दें ।
    हृदय से अत्यंत आभार इस सुंदर रचना के लिए व आपको प्रणाम।

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    1. विनम्र आभार अनंता जी। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  5. बातें, या जीवन दर्शन,
    वो ओजस्वी वक्ता, हम श्रोतागण,
    वो शब्द, अर्थ भरे,
    जाने क्यूँ, निःशब्द करे!
    सब नारायण ही जाने ! सुंदर सरल सहज रचना।

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    1. विनम्र आभार आदरणीया मीना जी। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  6. नारायण ही जाने...... सच है उसकी लीला वो ही जाने ।बहुत सुन्दर रचना ।

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    1. विनम्र आभार आदरणीया उषा किरण जी। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  7. बहुत खूब आदरणीय कविवर! वक्ता भी कवि श्रोता भी कवि तो इस विद्वतापूर्ण संवाद की परिणीति एक सुंदर रचना के रूप में ही होगी ना! हमारी प्रिय आँचल भले उम्र में बहुत छोटी है पर नारायण की अनन्य आराधिका और सच्ची श्रद्धालु है, उसकी बातें बहुत प्यारी और अबोध सी होती हैं! एक सुदक्ष कवि ने कमाल कर दिया और संवाद को बेमिसाल कर दिया
    वाह👌👌👌👌

    उनकी, बातों में कान्हा,
    उनकी, शब्दों में कान्हा सा गाना,
    शायद, वो हैं राधा,
    व्यथा, कहे सिर्फ आधा!

    नारायण ही जाने......
    वाह पुरुषोत्तम जी------
    सचमुच नारायण ही जाने! बहुत बहुत बधाई आपको भावपूर्ण अविस्मरणीय रचना के लिए

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    1. आदरणीया रेणु जी, आपकी बातें भी विस्मयकारी हैं।
      परन्तु, आँचल जी वस्तुतः विलक्षण हैं। एक छोटी सी उम्र में ऐसी गहराई! सरस्वती की कृपा है उनपर।
      मेरी शुभकामनाएँ ।।।
      आभारी हूँ आपकी प्रतिक्रिया हेतु।

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