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Friday, 1 January 2016

नववर्ष पर छोटी सी कामना!

नववर्ष पर छोटी सी कामना!

नव-प्रभात मिले नव-ऊर्जा,
नव प्रेरणा जगे नव चेतना, 
नवधारणा उपजे नवकामना,
नवदृष्टि खिले नित्य-नवपटल, 
नव-आकाश फैले नव-प्रकाश, 
नववर्ष,नवचाह, नव हो जीवन।

नव ल्क्ष्य मिले नवशिखर,
नव आशा मिले नवविहान,
नव तपस्या ले नव साधना,
नव धैर्य मिले नव प्रेरणा,
नव लगन मिले नव चेतना,
नववर्ष,नवचाह, हो नवजीवन।

नव प्रकाश, नव आकाश,
नव विश्वास नव उल्लास,
नव हिमम्त जगे नव आस,
नव विचार के नव निर्झर,
नव प्रणाम मिले नव आशीष।
नववर्ष,नवसंघर्ष,नव हो जीवन।

नववर्ष पर छोटी सी कामना!

Thursday, 31 December 2015

सबसे प्यारा फूल

एक फूल है सबसे सुन्दर,
मन के बगिया में जो उपजा है
उस बगिया ने गुलाब भेजा है,
मन के अन्दर जो सदियों से सजा है,
हृदय मध्य ये सजे रहेंगे
प्राणों से सदा जुड़े रहेंगे,
प्रीत बिना ये मुरझा जाएंगे ।
प्रेमबगिया की मधुयादों को नववर्ष की ढेर सारी बधाई

Wednesday, 30 December 2015

नववर्ष 2016 की शुभकामनाएँ

नववर्ष ले आया नवविहन,
       जागे हैं फिर नए अरमान,
              उपजी है फिर नई आशाएँ,
                    तू इन आशाओं के संग तो हो ले।

वर्ष नया है प्रारंभ नई है,
       दिवस नया है प्रहर नई है,
                हर चिन्ताओं को तज पीछे,
                       तू इक नई उड़ान तो भर ले।

निराशा के घनघोर अंधेरे,
         अब रह गए हैं पीछे तेरे,
                सामने खड़ा एक नया लक्ष्य है,
                        तू इन लक्ष्यों के संग तो हो ले।

             (हमारे समस्त पाठको को नववर्ष 2016 की 
                       असीम प्रेरक शुभकामनाएँ)

Friday, 25 December 2015

जन्मदिन की बधाई

25th December
मेरे प्यारे विनय भैया को जनमदिन की ढेर सारी शुभकामनाएँ
Wish you Bhaiya a happy birthday…

ये जनम दिन है वृहद, कोई साधारण नही,
मन में जिसके अपार करुणा, दया व प्यार,
वही सर्वव्यापी मसीहा, पैदा हुआ था आज,
प्रीत की सीख देकर जो, रचता रहता नव-संसार।

वाणी मे जिसकी, घुलती है सरलता-मधुरता,
प्राणों मे जिसके, बसता है अनंत प्यार,
शब्दों मे जिसकी, ढलती है मृदु कोमलता,
हृदय में जिसके, बसती हैं मृदुलता अपार।

जनम लिया था उसने, देने जग को उपहार,
खुद पीड़ा मे रहकर भी, हरता औरों के दुख,
कष्टों को समेट स्वयम् में, करता रहता परोपकार,
जनम लिया है उसी परम ने, उन्हें सादर नमस्कार।

Sunday, 20 December 2015

मेरी माँ का आशीष

मेरी मां द्वारा उच्चारित तत्क्षण् आशीष शब्द...

लो मेरा आशीष
प्रतिक्षण प्रगति पथ पर बढ़ चलो तुम
तुम्ही आशा, तुम्ही स्वपनों की बनो साकार प्रतिमा,
दे रही आशीष तुझको, भावना की भावभीनी भेंट ले लो,

चाहता है मन तुझे आरूढ़ देखूं, प्रगति के उत्तुंग शिखरों पर,
ग्यान का आलोक ले विद्या विनय व पात्रता से 
तुम लिखो इतिहास नूतन,गर्व जिसपर कर सकें हम, 

वाटिका के सुमन सम विकसित रहो तुम,
सुरभि से जन जन के मन को जीत लो तुम,
स्नेह सेवा देशहित तुम कर सको सबकुछ समर्पण,
मार्ग के काटों को फूलों मे बदल लो,
भावना की भावभीनी भेंट ले लो,

शब्द को शक्ति नहीं कि भावना को मुखर कर दे, 
समझ पाओ तुम हमे (मां-गुरु)
ईश्वर तुम्हारी बुद्धि को भी प्रखर कर दे,
हम वो संतराश है....जो पत्थरों में फूकते हैं प्राण, 
कृति मेरी तुम बनो कल्याणकारी,
ले सको तो स्नेह का उपहार ले लो,
भावना की भावभीनी भेंट ले लो।

-- रचयिता श्रीमति सुलोचना वर्मा (मेरी मां)

Its blessings that my mother said these lines to me, which i could capture in words, at Saharsa (Bihar)