Saturday, 18 January 2020

जलते रहना, ऐ आग!

जलते रहना, ऐ आग!
इक सम्मोहन सा है, तेरी लपटों में,
गजब सा आकर्षण है,   
जलाते हो,
पर खींच लाते हो, ध्यान!

जलते रहना, ऐ आग!
जलाते हो, प्रतीक चिर जीवन के,
कर स्वयं में समाहित,
ले अंकपाश,
आखिरी देते हो, सम्मान!

जलते रहना, ऐ आग!
जब तक, राख उठे लपटों से तेरी,
धुआँ-धुआँ, हो ये शमां,
जलना यहाँ,
या तू बन जाना, श्मशान!

जलते रहना, ऐ आग!
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रूखा-सूखा पहाड़ कोई नहीं देखने जाता। लेकिन, पहाड़ से उतरते झरनों को देखकर मन बरबस ही खिचा चला आता है। पहाड़  पर चढ़कर मनोरम व मनोहारी दृश्य देखना ही मन को भाता है।

कहीं आग लगे या लगाया जाय, तो सब मुड़-मुड़कर देखते हैं । अलाव या चिता जले तो सभी इकट्ठे होकर तापते या देखते हैं ।

मुझे लगता है कि, जरूरी नहीं है कि शब्द ज्यादा लिखे जाएँ, परन्तु जरूरी है कि शब्द की आत्मा यानि अन्तर्निहित भाव लिखी जाय, जो कि पल भर को झकझोर दे अन्तर्मन को।

अत:, शब्दों के पहाड़ से, कलकल करता कोई झरना बहे, पल-पल रिसता कोई भाव झरे तो बात ही कुछ और है। शब्द जले और आग या धुआँ ना उठे तो यह जलना व्यर्थ है।
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- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

28 comments:

  1. अप्रतिम , सार्थक सृजन।
    बहुत सुंदरता से आपने एक गहरा अर्थ दिखा है लेखन को ।
    बहुत सुंदर।

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    1. आपकी सहृदयता हेतु साधुवाद आदरणीया कुसुम जी। बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  2. वाह बेहतरीन रचना

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    1. आपके प्रेरक शब्दों हेतु आभार आदरणीया अनुराधा जी ।

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  3. बहुत गूढ़ बात कही है. बहुत सुन्दर. 👏👏

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    1. सुधा बहन, बहुत दिनों बाद पुनः तुम्हारी प्रतिक्रिया पाकर प्रसन्नता हुई । शुभकामनाएं ।

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (१९-०१ -२०२०) को "लोकगीत" (चर्चा अंक -३५८५) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    -अनीता सैनी

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  5. सर आपकी वाह में एक प्रवाह है। बहा ले गई है कहीं ये मुझे। धन्यवाद आदरणीय ।

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    1. आदरणीय ओंकार जी, बहुत-बहुत धन्यवाद आपका।

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  7. अदभुत ,गहरी संवेदनाओं से भरा सृजन , सादर नमन आपको

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    1. आदरणीया, बस कोशिश जारी है। हार्दिक आभार आपका।

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    1. आदरणीया नीतू जी, हार्दिक स्वागत है आपका । बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  9. आदरणीय सर सादर प्रणाम 🙏
    गूढ़ और सुंदर बात कह दी आपने। एक सार्थक संदेश देती इस उत्तम सृजन को सादर नमन 🙏

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया आँचल जी।

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  10. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २७ जनवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  11. वाह बेहद खूबसूरत।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया सुजाता जी।

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  12. वाह क्या बात शब्द जले आग और धुआं ना उठे तो यह जलना व्यर्थ है ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया रीतू जी।

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