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Saturday, 6 February 2016

एे मेरे हमनवाँ

सजती रहेंगी दिल की महफिलें तुमसे ही हमनवाँ!

फलक से उतर के तू आजा जमीं पर,
एे रख दे कदम तू दिल की जमीं पर,
बिखर जाएंगे राहों पे फूलों के बदन,
चाँदनी से निखर जाएगा सारा चमन।

सपनों की फलक सजती रहेंगी तुमसे ही हमनवाँ!

निगाहों में आपकी हैं सपनों का जहाँ,
उन सपनों को मैं सजाऊंगा अब यहाँ,
सँवर जाएगी किस्मत कुछ हमारी भी
फलक से तुझको लाऊंगा एे हमनवाँ।

तू उतर के आ जमीं पर एे मेरे हसीं हमनवाँ!