हौले से, तन को जरा छू कर,
बह चला, एक झौंका, न जाने किधर!रह गया वो, बस इक, एहसास बनकर,
या, बना सहचर, साँस बनकर,
या, चल रहा संग, वो हर कदम पर,
एक झौंका, न जाने किधर!
कल तलक, ऐसा न था कोई एहसास,
पर अब तक, कहाँ कोई पास!
गुम कहीं, वो तोड़कर मेरा विश्वास,
एक झौंका, न जाने किधर!
रोके कब रुकी, वो खुश्बू हो या पवन,
यूं होती जुदा, ज्यूं बूंदों से घन,
मुड़ चला, झंझोरकर शाख के तन,
एक झौंका, न जाने किधर!
शंकाओं से घिरा, हृदय का, हर शिरा,
जाने कहीं झंझावातों में घिरा,
भटकता हो, सुनसान राहों में पड़ा,
एक झौंका, न जाने किधर!
हौले से, तन को जरा छू कर,
बह चला, एक झौंका, न जाने किधर!
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