दुआ उन्हीं की, ले आएगी पुरवाई!
जीवन के बेशकीमती वक्त हमारे देख-रेख में गुजारते हुए वे भूल जाते हैं कि उनकी अगली पीढ़ी के पास, उन्हीं के लिए वक्त नहीं है। अपने रिक्त हाथों में दुआओं की असंख्य लकीरे लिए, वे हमारा ही इन्तजार करते बैठे होते हैं । ये युवा पीढ़ी पर निर्भर करता है कि वो इन बेशकीमती दुआओं को समेट कर अपना दामन भरे या रिक्तताओं से भरा एक भविष्य की वो भी बाट जोहें।
शायद एक पुरवाई बहे, इसी उम्मीद में, प्रस्तुत है चंद पंक्तियाँ, एक रचना के स्वरूप में ....
दुआ उन्हीं की, ले आएगी पुरवाई!
जीर्ण हुए, उन हाथों में न थी ताकत,
दीर्घ रिक्तता थी, बची न थी जीने की चाहत,
पर उन आँखों में थी, नेक सी रहमत,
सर पर, हाथ उसी ने थी फिराई!
दुआ उन्हीं की, ले आएगी पुरवाई!
लम्हे शेष कहाँ थे, उनकी जीवन के,
जाते हर लम्हे, दे जाते इक दस्तक मृत्यु के,
शब्द-शब्द थे, उनकी बस करुणा के,
उस करुणा में, जैसे थी तरुणाई!
दुआ उन्हीं की, ले आएगी पुरवाई!
उस अन्तिम क्षण, पलकें थी पथराई,
वो दूर कहीं थे, जिन पर थी ममता बरसाई,
मन विह्वल थे, वो आँखें थी भर आई,
अन्त समय, होते कितने दुखदाई!
दुआ उन्हीं की, ले आएगी पुरवाई!
संग कहाँ है कोई, जीवन के उस पार,
मंद मलय बहती है, बस जीवन के इस पार,
बह चली ये मंद समीर, आज उस पार,
मन पर मलयनील, यह कैसी छाई!
दुआ उन्हीं की, ले आएगी पुरवाई!
आह न उनकी लेना, बस परवाह जरा उनकी कर लेना। कल ये बुजुर्ग, शायद, कभी हम में ही न लौट आएं, और कटु एक अनुभव, ऐसा ही, जीवन का ना दे जाएँ।
क्यूँ न, जीवन चढ़ते-चढ़ते, भविष्य की नई एक राह गढ़ते चलें । बुजुर्गों के हाथ उठे, तो बस एक खुशनुमा सा दुआ बनकर। दुआ उन्हीं की, ले आएगी पुरवाई!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
बहुत ही भावुक रचना। बेहतरीन लिखा है आपने।
ReplyDeleteआभारी हूँ आदरणीय प्रकाश जी।
Deleteआपकी यह रचना मुझे अपने पिताजी की याद दिला दी।
ReplyDeleteहमेशा सद्कर्म की ओर उन्मुख रहें । जीवन अवश्य ही सफल होगा।
Deleteजी अवश्य। आपकी ये बातें हमेशा ध्यान में रखूंगा। धन्यवाद!!
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय 🙏🌷
ReplyDeleteवाहः बहुत उम्दा
ReplyDeleteसतत आभारी हूँ लोकेश जी।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसादर आभार मित्र
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(०५- ०१-२०२० ) को "माँ बिन मायका"(चर्चा अंक-३५७१) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
सादर आभार
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
६ जनवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया ।
Deleteदुआ उन्हीं की, ले आएगी पुरवाई!
ReplyDeleteसही कहा अपने बड़ों की दुआ सचमुच पुरवाई ही लाती है
बहुत सुन्दर संदेश नयी पीढ़ी के लिए जो एकाकी जीना पसंद कर रहे हैं
आदरणीया सुधा देवरानी जी, नववर्ष की शुभकामनाओं सहित सुन्दर प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार। यह नया साल आपके लिए ढेरों खुशियाँ लाए।
Delete-बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति।सुंदर रचना।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया सुजाता प्रिय जी।
Deleteभावपूर्ण और प्रभावी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
आदरणीय ज्योति खरे जी, हार्दिक आभार।
Deleteहृदय स्पर्शी सृजन ।
ReplyDeleteसुंदर।