सरसों के फूल
लुभा गए मन को,
लुभा गए मन को,
दूर-दूर तक,
धरा पर,
प्रीत बन,
पीली चादर फैला गए,
धरा पर,
प्रीत बन,
पीली चादर फैला गए,
हरितिमा पर छा गए,
लहलहा गए,
लहलहा गए,
पीत रंग
मन को मेरे भा गए।
मन को मेरे भा गए।
श्रृंगार
लुभावन
वसुधा को दे गए,
आच्छादित हुए
वसुधा को दे गए,
आच्छादित हुए
धरा के
अंग-अंग,
गोद भराई कर गए,
अंग-अंग,
गोद भराई कर गए,
मधु-रस की
मधुर धार,
भौरों को दे गए,
मधुर धार,
भौरों को दे गए,
मुक्त सादगी
सरसों की
मन को हर गए।
सरसों की
मन को हर गए।
कुछ पल
मैं भी संग बिताऊँ,
कोमलता
तनिक
स्पर्श मैं भी कर जाऊँ,
मैं भी संग बिताऊँ,
कोमलता
तनिक
स्पर्श मैं भी कर जाऊँ,
दामन में,
भर लूँ,
निमित्त हुए
चित मेरे विस्मित,
कर गए,
भर लूँ,
निमित्त हुए
चित मेरे विस्मित,
कर गए,
सरसों के फूल,
मेरे मन में बस गए।
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