चल, बढ़ बहती धार सा, ताकि बढ़ती रहे ये जिन्दगी.....
जिन्दगी की कहानी, ये धार नदी की बलखाती,
करती हवाओं से बातें, शीतल उन्हें बनाती,
जज्बा लिए जीवन का, संघर्ष बाधाओं से वो करती।
नाव जर्जर सी लड़खड़ाती, इक लकड़ी से बस बनी,
हर पल लहरों से टकराती, राह वो चलती रही,
जर्जर शरीर है मगर, जज्बा जीवन का अब भी वही!
लौ आश की उस तैरती दीप मे भी छुुपी,
भीगी सी वो बाती, जल जल जिए वो जिन्दगी,
उस जलन की ताप में ही है छुपी ये जिन्दगी।
हर पल मचलती बेताब लहरों के दिल में भी,
पल आश का छुपा है कहीं,
एक न एक पल तो विश्राम पाएगा वो कहीं।
पर, ठहरा वो लहर जो एक पल भी कहीं,
दम ठंढ़ी हवाओं के घुट जाएंगे वहीं,
रुक जाएगा वो प्रहर रुक जाएगी ये जिन्दगी।
चल, बढ़ बहती धार सा, ताकि बढ़ती रहे ये जिन्दगी.....
जिन्दगी की कहानी, ये धार नदी की बलखाती,
करती हवाओं से बातें, शीतल उन्हें बनाती,
जज्बा लिए जीवन का, संघर्ष बाधाओं से वो करती।
नाव जर्जर सी लड़खड़ाती, इक लकड़ी से बस बनी,
हर पल लहरों से टकराती, राह वो चलती रही,
जर्जर शरीर है मगर, जज्बा जीवन का अब भी वही!
लौ आश की उस तैरती दीप मे भी छुुपी,
भीगी सी वो बाती, जल जल जिए वो जिन्दगी,
उस जलन की ताप में ही है छुपी ये जिन्दगी।
हर पल मचलती बेताब लहरों के दिल में भी,
पल आश का छुपा है कहीं,
एक न एक पल तो विश्राम पाएगा वो कहीं।
पर, ठहरा वो लहर जो एक पल भी कहीं,
दम ठंढ़ी हवाओं के घुट जाएंगे वहीं,
रुक जाएगा वो प्रहर रुक जाएगी ये जिन्दगी।
चल, बढ़ बहती धार सा, ताकि बढ़ती रहे ये जिन्दगी.....
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