Tuesday, 8 November 2022

यह क्षण


इस क्षण में, उस क्षण की बातें क्या करना!
इस क्षण ही जीना, इस क्षण ही मरना।

पीकर जीवन-गरल, ढ़ल गए वो कल,
लूट चले जो सुख चैन, बीत चुके वो पल,
गूंज उसी कल की, क्या सुनना?

इस क्षण में, उस क्षण की बातें क्या करना!

वो बीता क्षण, दे जाए ना भीगा जीवन,
मंद कहीं पर जाए ना, इस क्षण की गुंजन,
उन चिथड़ों को, फिर क्या सीना?

इस क्षण में, उस क्षण की बातें क्या करना!

विदा कर, उस पल को, जो गम ही दे,
अलविदा कर दे उन यादों को, जो दुख दे,
बीते उस पल में, अब क्या जीना?

इस क्षण में, उस क्षण की बातें क्या करना!

कितनी प्यारी सी, इस क्षण की कंपन,
सपनों की क्यारी सी, लगती यह गुलशन,
उन कांटों को, अब क्या चुनना?

इस क्षण में, उस क्षण की बातें क्या करना!
इस क्षण ही जीना, इस क्षण ही मरना।

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

12 comments:



  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 9 नवंबर 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 9 नवंबर 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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  3. वाह!क्या बात है ,पुरुषोत्तम जी ,बेहतरीन !इस क्षण में उस क्षण की बातें क्या करना ...वाह!!!

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया शुभा जी

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  4. आदरणीय सर , सादर नमन । बहुत ही सुंदर , प्रेरक भावपूर्ण रचना । आतीत की कुसमृतियों और भविष्य की चिंताओं में न रह कर , वर्तमान में रहना और हर क्षण को आनंदित हो कर जीना , बहुत ही सुंदर संदेश विशेष कर हम जैसे युवाओं और विद्यार्थियों के लिए । आज बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर लौटी, इसीलिए इस "क्षण" भी बहुत आनंद आ रहा है । दो -तीन दिन पहले ब्लॉग जगत पर वापसी की , कुछ महीनों से नियमित नहीं हो पा रहा था, पढ़ाई के कारण । आपको यह जान कर प्रसन्नता होगी कि मैं अपने एम. ए के अंतिम वर्ष में प्रवेश कर चुकी हूँ , आप भी अपना आशीष दीजिए । अगस्त महीने में एक नई रचना अपने ब्लॉग पर डाली थी , अनुरोध है की उसे पढ़ कर अपना आशीष दीजिए । हार्दिक आभार एवं पुनः प्रणाम ।

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    1. अनन्ता जी, आपके समुन्नत और सुखद भविष्य की कामनाओं सहित अशेष आशीष।।।।

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  5. बहुत खूबसूरत सृजन

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया भारती जी

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  6. आदरणीय सर , आपकी यह कविता आज फिर से पढ़ी और अपनी बड़ी मासी को पढ़ कर सुनाई । उन्हें बहुत ही अधिक अच्छी लगी और मेरा भी मन नई प्रेरणा से भर गया । उनका कहना है कि यह रचना अनुपम है, सुंदर सरल शब्दों में सटीक प्रेरक संदेश जो सीधा जा कर हृदय में उतर जाए । सादर प्रणाम ।

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