जरा, इस मन को, सम्हालूँ,
न जाओ, ठहर जाओ, यहीं क्षण भर!कुछ और नहीं, बस, इक अनकही,
मन में ही कहीं, बाँकी सी रही,
किसी क्षण, कह डालूँ,
दो पहर, ठहर जाओ, यहीं क्षण भर!
कैसे कहते हैं, भला, मन की बातें,
पहले मन को, जरा समझाते,
यूँ ही, न बिखर जाऊँ,
बतलाओ, रुक जाओ, यहीं क्षण भर!
सपना ना रहे, ये सपनों का शहर,
टूटे न कहीं, शीशे का ये घर,
ठहर जरा, कह डालूँ,
न जाओ, रुक जाओ, यहीं क्षण भर!
इक मूरत, अधूरी, जरा अब तक,
होगी पूरी, भला, कब तक,
आ रंगों में, इसे ढ़ालूँ,
पल दो पल, आओ, यहीं क्षण भर!
जरा, इस मन को, सम्हालूँ,
दो पहर, ठहर जाओ, यहीं क्षण भर!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 05-04 -2021 ) को 'गिरना ज़रूरी नहीं,सोचें सभी' (चर्चा अंक-4027) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय रवीन्द्र जी।
Deleteबहुत सुन्दर् और सशक्त रचना।
ReplyDeleteप्रेरक टिप्पणी हेतु विनम्र आभार, बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मयंक जी।
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteप्रेरक टिप्पणी हेतु विनम्र आभार, बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय ओंकार जी।
Deleteबहुत सुदर रचना सिन्हा साहब, इक मूरत, अधूरी, जरा अब तक,
ReplyDeleteहोगी पूरी, भला, कब तक,
आ रंगों में, इसे ढ़ालूँ,
पल दो पल, आओ, यहीं क्षण भर!..वाह
सुंदर टिप्पणी हेतु विनम्र आभार, बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय अलकनंदा जी।
Deleteकैसे कहते हैं, भला, मन की बातें,
ReplyDeleteपहले मन को, जरा समझाते,
यूँ ही, न बिखर जाऊँ,
बतलाओ, रुक जाओ, यहीं क्षण भर!
बहुत सुंदर रचना बधाई हो
सुंदर टिप्पणी हेतु विनम्र आभार, बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया ज्योति जी।
Deleteबहुत सुंदर कविता रची आपने पुरुषोत्तम जी । सागर से भी गहरे भावों से भरी ।
ReplyDeleteसुंदर टिप्पणी हेतु विनम्र आभार, बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय माथुर जी।
Deleteसच में दो पल ठहर जाए यहीं । आह्लादकारी अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी भात्मक टिप्पणी हेतु विनम्र आभार, बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया अमृता तन्मय जी।
Deleteसुंदर श्रृंगार भाव सुंदर शब्द चयन हृदय स्पर्शी रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई।
म्र आभार, बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया कुसुम जी।
Deleteइक मूरत, अधूरी, जरा अब तक,
ReplyDeleteहोगी पूरी, भला, कब तक,
आ रंगों में, इसे ढ़ालूँ,
पल दो पल, आओ, यहीं क्षण भर!
वाह ! बहुत ही भावपूर्ण आग्रह और मनुहार
कवि की इतनी प्यारी मनुहार सुनकर किसके कदम ना थम जायेंगे |
विनम्र आभार, बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया रेणु जी।
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