Saturday 7 January 2023

कौन विशेष है!

कौन यहां, विशेष है?
सब, बहते वक्त के अवशेष हैं!
कुछ बीत चुके, कुछ बीत रहे,
कुछ शेष है!
कौन यहां, विशेष है?

बस, पथ यह अभिमान भरा,
और, झूले सपनों के,
स्व से, स्वत्व का अवलोकन कौन करे?
सत्य के, अंतहीन विमोचन में,
जाने कितना अशेष है?
कौन यहां, विशेष है?

दलदल, और अंधियारा पथ,
खींच रहे सब, रथ,
ये पग कीचड़ से लथपथ, कैसे गौर करे!
अर्ध-सत्यों की, अन-देखी में,
जाने कितना अशेष है?
कौन यहां, विशेष है?

धूमिल स्वप्न सा, यह जीवन,
हाथों में, कब आए,
ये धूल, किधर उड़ जाए, कैसे ठौर करे!
उस दिग-दिगंत को, पाने में,
जाने कितना अशेष है?
कौन यहां, विशेष है?

कौन यहां, विशेष है?
सब, बहते वक्त के अवशेष हैं!
कुछ बीत चुके, कुछ बीत रहे,
कुछ शेष है!
कौन यहां, विशेष है?

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

12 comments:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 08 जनवरी 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. जो अविशेष है वही जानने योग्य है, विशेष तो सांत है, सीमित है, मिट रहा है हर पल, जो रह जाता है हर बार वह अविशेष है, सुंदर सृजन!

    ReplyDelete
  3. कौन यहां विशेष है, एक आसमान के नीचे एक धरती के ऊपर तुम हम हम तुम।

    बहुत सुंदर रचना।

    ReplyDelete
  4. कौन यहां, विशेष है?
    सब, बहते वक्त के अवशेष हैं!
    फिर गुमान कैसा...
    बहुत सुन्दर
    वाह!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया सुधा देवरानी जी

      Delete
  5. कौन यहां, विशेष है?
    सब, बहते वक्त के अवशेष हैं!
    फिर गुमान कैसा...
    बहुत सुन्दर
    वाह!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया सुधा देवरानी जी

      Delete