कौन यहां, विशेष है?
सब, बहते वक्त के अवशेष हैं!
कुछ बीत चुके, कुछ बीत रहे,
कुछ शेष है!
कौन यहां, विशेष है?
बस, पथ यह अभिमान भरा,
और, झूले सपनों के,
स्व से, स्वत्व का अवलोकन कौन करे?
सत्य के, अंतहीन विमोचन में,
जाने कितना अशेष है?
कौन यहां, विशेष है?
दलदल, और अंधियारा पथ,
खींच रहे सब, रथ,
ये पग कीचड़ से लथपथ, कैसे गौर करे!
अर्ध-सत्यों की, अन-देखी में,
जाने कितना अशेष है?
कौन यहां, विशेष है?
धूमिल स्वप्न सा, यह जीवन,
हाथों में, कब आए,
ये धूल, किधर उड़ जाए, कैसे ठौर करे!
उस दिग-दिगंत को, पाने में,
जाने कितना अशेष है?
कौन यहां, विशेष है?
कौन यहां, विशेष है?
सब, बहते वक्त के अवशेष हैं!
कुछ बीत चुके, कुछ बीत रहे,
कुछ शेष है!
कौन यहां, विशेष है?
(सर्वाधिकार सुरक्षित)