Showing posts with label गायन. Show all posts
Showing posts with label गायन. Show all posts

Tuesday, 29 December 2015

मिटती नहीं मन की क्युँ प्यास?

मिटती नही मन की क्युँ प्यास !

जैसे जीवन में गायन हो कम,
गायन में हों स्वर का अधूरापन,
स्वर में हो कंपन का विचलन,
कंपन में हो साँसों का तरपन ।

मिटती नहीं मन की क्युँ प्यास?

जीवन दो क्षण सुख के मिले,
और प्यास मिली रेगिस्तानों सी,
मृगतृष्णा अनंत अरमानों के मिले,
प्यास मिली कितनी प्रबल सी।

मिटती नहीं मन की क्युँ प्यास?