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Sunday, 2 September 2018

वही है जीवन

है जीवन वही, जो मरण के क्षण को जीत ले...

झंकृत शब्दों से मौन को चीर दे,
ठहरे पलों को अशांत सागर का नीर दे,
टूटे मन को शांति का क्षीर दे,
है जीवन वही......

अचम्भित हूं मैं मौन जीवन पे,
कब ठहरा है जीवन मौन की प्राचीर पे,
मृत्यु के पल आते है मौन पे,
है जीवन वही......

मरण दाह है, लौ जीवन की ले,
ज्वलंत पलों से पल जीवन के छीन ले,
यूं जीते जी क्यूँ दाह में जले,
है जीवन वही......

इक गूंज गुंजित है ब्रम्हाण्ड में,
ओम् अहम् वही गुंजित है हर सांस में,
गूंज वही गूंजित कर मौन में,
है जीवन वही......

कोलाहल हो जब ये दीप जले,
हो किलकारी जब भी कोई फूल खिले,
मुखरित मन के संवाद चले,
है जीवन वही......

है जीवन वही, जो मरण के क्षण को जीत ले...

Saturday, 16 April 2016

ख्वाब की बातें

वो ख्वाब, अाधा अधूरा, न जाने कहाँ इन पलकों में?

कुछ सुनहरे ख्वाब, रख छोड़े थे मैनें सहेज कर,
पलकों के पीछे लिपटे गीले कोरों में रख कर,
सो जाती थी वो, जागी पलकों में रो-रोकर,
फिर कभी जग जाती वो, बंद पलकों में हँस कर।

ख्वाब वो वर्षों से चुप, पलकों के गीले छावन में,
सूख रही हो, टूटी सी टहनी जैसे आँगन में,
जा बैठी हो कोई तितली, एक कटीली झाड़ी में,
अधूूरा ख्वाब वो, तिलमिला सा उठता आँखों में।

सोचता हूँ अब, काँच से ख्वाब पाले थे क्युँ मैंने,
ओस की बूँदें, क्या ठहरी है कभी बादल में?
संगीत अधूरा सा, क्या झंकृत हो पाया है जीवन में?
बरस परती हैं ये आँखें, टूटे ख्वाबो के संसर्ग में।

वो सुनहरा ख्वाब, अब अधूरा, न जाने कहाँ पलकों में?