वो बोली, रखना खयाल अपना दोरसा है ये मौसम....
ठंढी बयार लेकर आई थी जब अगहन,
पहली बार तभी काँपा था उस दुल्हन का मन,
होकर व्याकुल फिर समझाया था उसने,
दोरसा है ये मौसम, खयाल होंगे तुम्हे रखने,
संभल कर रहना, इक तुम ही हो इस मन में........
बदलते मौसम से चिंतित थी वो दुल्हन,
मन ही मन सोचती बड़ा अल्हड़ है मेरा साजन,
उपर से अगहन पूष का दोरसा ये मौसम,
आशंकओं से पहली बार कांपा था उसका मन,
दोरसे मौसम में तब घबराई थी वो नव दुल्हन......
युग बीते, बीते कितने ही दोरसे मौसम,
चिन्तित होती वो अब भी, जब आता दोरसा मौसम,
बेफिक्री साजन की बढ़ाती उसकी धड़कन,
मन ही मन कहती, आता ही है कयूँ दोरसा मौसम,
दोरसे मौसम में, बन चुकी थी वो पूरी दुल्हन......
रखती है वो ख्याल मेरा, जब आता है दोरसा मौसम.....
ठंढी बयार लेकर आई थी जब अगहन,
पहली बार तभी काँपा था उस दुल्हन का मन,
होकर व्याकुल फिर समझाया था उसने,
दोरसा है ये मौसम, खयाल होंगे तुम्हे रखने,
संभल कर रहना, इक तुम ही हो इस मन में........
बदलते मौसम से चिंतित थी वो दुल्हन,
मन ही मन सोचती बड़ा अल्हड़ है मेरा साजन,
उपर से अगहन पूष का दोरसा ये मौसम,
आशंकओं से पहली बार कांपा था उसका मन,
दोरसे मौसम में तब घबराई थी वो नव दुल्हन......
युग बीते, बीते कितने ही दोरसे मौसम,
चिन्तित होती वो अब भी, जब आता दोरसा मौसम,
बेफिक्री साजन की बढ़ाती उसकी धड़कन,
मन ही मन कहती, आता ही है कयूँ दोरसा मौसम,
दोरसे मौसम में, बन चुकी थी वो पूरी दुल्हन......
रखती है वो ख्याल मेरा, जब आता है दोरसा मौसम.....