अनसुने ये गीत मेरे, तु जरा गुनगुना..
अनकहा वही, जो है अनसुना,
आवाज मेरी, जो न अब तलक बना,
गीत ये मेरे, तू जरा गुनगुना...
लचकती शाख सी, मन में रही,
डोलती हर बात पर, चुपचाप सी रही,
बाहें थाम कर, तू इसे मना...
राज ये कौन सा, गीत में ढ़ला,
साज ये कौन सा, इक संगीत में ढ़ला,
आवाज दे, तू जरा गुनगुना....
थिरका ये, समय की चाल पर,
रोता फिरा कभी ये, मेरे इस हाल पर,
नग्मा कोई, तू मुझको सुना..
लचकती हैं, रूँधी सी ये साँसें,
मचलती शाख सी, झूलती है ये साँसें,
आ संग-संग, तू इसे गुनगुना..
फिर न आएंगे, लौट कर हम,
न जाने कहाँ, किधर खो जाएंगे हम,
रह जाए न, गीत ये अनसुना..
अनसुने ये गीत मेरे, तु जरा गुनगुना..
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
अनकहा वही, जो है अनसुना,
आवाज मेरी, जो न अब तलक बना,
गीत ये मेरे, तू जरा गुनगुना...
लचकती शाख सी, मन में रही,
डोलती हर बात पर, चुपचाप सी रही,
बाहें थाम कर, तू इसे मना...
राज ये कौन सा, गीत में ढ़ला,
साज ये कौन सा, इक संगीत में ढ़ला,
आवाज दे, तू जरा गुनगुना....
थिरका ये, समय की चाल पर,
रोता फिरा कभी ये, मेरे इस हाल पर,
नग्मा कोई, तू मुझको सुना..
लचकती हैं, रूँधी सी ये साँसें,
मचलती शाख सी, झूलती है ये साँसें,
आ संग-संग, तू इसे गुनगुना..
फिर न आएंगे, लौट कर हम,
न जाने कहाँ, किधर खो जाएंगे हम,
रह जाए न, गीत ये अनसुना..
अनसुने ये गीत मेरे, तु जरा गुनगुना..
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)