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Friday, 18 March 2022

फाग के रंग

यूँ रंग ले, मेरे संग, फाग के रंग!

खिल न पाएंगे, यूँ ही हर जगह पलाश,
न होगी, हर घड़ी, ये फागुनी बयार,
पर, न फीके होंगे, गीत ये फाग के,
रह-रह, बज उठेंगे, मन के अन्दर,
मिल ही जाएंगे, चलते-चलते, तुझ संग,
वो चटकते, टेसुओं से, लाल रंग!

यूँ रंग ले, मेरे संग, फाग के रंग!

रंग सारे, यूँ, खिल उठेंगे फागुन से परे,
गीत मन के, बज उठेंगे नाद बनके,
ये मौसम, यूँही, सदा बदलते रहेंगे,
पर तुझको ही तकेंगे, ये नैन मेरे,
मौसम से परे, खिल ही जाएंगे तेरे संग,
वो चटकते, टेसुओं से, लाल रंग!

यूँ रंग ले, मेरे संग, फाग के रंग!

झूलेगी कहीं, बौराई, डाली आम की,
कह उठेंगी, हर, कहानी शाम की,
बिखरेंगे पटल पर, यूँ रंग हजारों,
उस फाग में, होंगे हम भी यारों,
उभरेंगे आसमां पर, शर्मो हया के संग,
वो चटकते, टेसुओं से, लाल रंग!

यूँ रंग ले, मेरे संग, फाग के रंग!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)