प्रिय पाठकगण...
मन थोड़ा भावुक भी है और एक खुशनुमा अनुभव भी महसूस कर रहा हूँ इस वक्त। एक वर्ष, जो हर लम्हा हमारे साथ जिया, खामोशी से अलविदा कहने वाला है ।
बात करूँ, या यूँ खामोश रहूँ?
दरिया था, चुपचाप उसे था बह जाना,
ओढ़ी थी, उसने भी खामोशी,
बंदिशों में, मुश्किल था बंध जाना,
बीत चला, यूँ वर्ष पुराना!
लेकिन, उसकी खामोशी में हमने समाज की कटु विसंगतियों पर दर्द भी महसूस किया है। साथ ही, बहुत सारी उपलब्धियां हमें गर्वान्वित भी कर गई हैं । काश, ये सामाजिक विसंंगतियां हमें शर्मसार न करती।
कब होता है सब वैसा, चाहे जैसा ये मन,
वश में नही होते, ये आकाश, ये घन,
मुड़ जाए कहीं, उड़ जाए कहीं, पड़ जाए कहीं!
सोचें कितना कुछ, हो जाता है कुछ,
उग आते हैं मन में, फिर ये, काश के वन!
काश, हम थोड़ा और धनात्मक हो जाएँ नए वर्ष में और हमारा नजरिया सिर्फ अपना सर्वश्रेेष्ठ देने और सर्वश्रेष्ठ हासिल करने की हो ।
महसूस हो रहा है जैसे ये नया साल, मुस्कुराहट लेकर आनेवाला है।
किसकी है मुस्कुराहट, ये कैसी है आहट!
छेड़े है कोई सरगम, या है इक सुगबुगाहट!
चौंकता हूँ, सुन पत्तियों की सरसराहट!
सुनता हूँ फिर, अंजानी सी आहट!
खुली सी पलकें, हैं मेरी आज!
लगे तन्हाईयों में, कहीं बज रहे हैं साज!
मुस्कुराहटों के, बदले हैं अंदाज!
एक नव-आगन्तुक की तरह, वर्ष 2020 दहलीज लांघने को तैयार है। आइए, सब मिलकर इसका स्वागत करें ।
नव-वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं सहित आप सभी का। पुरुषोत्तम ।।।।।।।
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
31.12.2019
मन थोड़ा भावुक भी है और एक खुशनुमा अनुभव भी महसूस कर रहा हूँ इस वक्त। एक वर्ष, जो हर लम्हा हमारे साथ जिया, खामोशी से अलविदा कहने वाला है ।
बात करूँ, या यूँ खामोश रहूँ?
दरिया था, चुपचाप उसे था बह जाना,
ओढ़ी थी, उसने भी खामोशी,
बंदिशों में, मुश्किल था बंध जाना,
बीत चला, यूँ वर्ष पुराना!
लेकिन, उसकी खामोशी में हमने समाज की कटु विसंगतियों पर दर्द भी महसूस किया है। साथ ही, बहुत सारी उपलब्धियां हमें गर्वान्वित भी कर गई हैं । काश, ये सामाजिक विसंंगतियां हमें शर्मसार न करती।
कब होता है सब वैसा, चाहे जैसा ये मन,
वश में नही होते, ये आकाश, ये घन,
मुड़ जाए कहीं, उड़ जाए कहीं, पड़ जाए कहीं!
सोचें कितना कुछ, हो जाता है कुछ,
उग आते हैं मन में, फिर ये, काश के वन!
काश, हम थोड़ा और धनात्मक हो जाएँ नए वर्ष में और हमारा नजरिया सिर्फ अपना सर्वश्रेेष्ठ देने और सर्वश्रेष्ठ हासिल करने की हो ।
महसूस हो रहा है जैसे ये नया साल, मुस्कुराहट लेकर आनेवाला है।
किसकी है मुस्कुराहट, ये कैसी है आहट!
छेड़े है कोई सरगम, या है इक सुगबुगाहट!
चौंकता हूँ, सुन पत्तियों की सरसराहट!
सुनता हूँ फिर, अंजानी सी आहट!
खुली सी पलकें, हैं मेरी आज!
लगे तन्हाईयों में, कहीं बज रहे हैं साज!
मुस्कुराहटों के, बदले हैं अंदाज!
एक नव-आगन्तुक की तरह, वर्ष 2020 दहलीज लांघने को तैयार है। आइए, सब मिलकर इसका स्वागत करें ।
नव-वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं सहित आप सभी का। पुरुषोत्तम ।।।।।।।
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
31.12.2019