वो कौन, छेड़े है मन वीणा के तार,
गा उठा धुन कोई नया,
ये जर्जर सितार!
वो कौन, जो पहले, स्वप्न सा आया,
फिर, पलकों में समाया,
इंद्रधनुष सी, कैसी, वो परछाईं,
छुई-मुई सी, मुरझाई,
है वो कोई भरम, टूटे जो पल-पल,
कैसा वहम, छूटे ना इक पल!
वो कौन..
मन की जमीं पे, वृक्ष सा वो उभरा,
बसंत सा वो जैसे संवरा,
नृत्य कर उठे, मृदु वे पात-दल,
हर ओर, जैसे हलचल,
दो नैन जैसे, झांकते हों हर-पल,
घेरे वे ही, एहसास पल-पल!
वो कौन..
आए चलकर, उतर कर बादलों से,
झांके छुपके, आंचलों से,
हृदय, धुन इक उसी की सुनाए,
सुनहरे गीत कोई गाए,
आज लय पर, थिरकते वे बादल,
गाने लगे हैं, संगीत कलकल!
वो कौन, छेड़े है मन वीणा के तार,
गा उठा धुन कोई नया,
ये जर्जर सितार!