नीरव से, बहते उस पल में,
ठहरे से, जल में,
हलचल कितने थे, उस रोज!
उस रोज!
ठहरा था, सागर पल भर को,
विवश, कुछ कहने को,
उस, बादल से,
लहराते, उस आंचल से!
उस रोज!
किधर से, बह आई इक घटा!
बदली थी, कैसी छटा!
छलकी थी बूंदे,
सागर के, प्यासे तट पे!
उस रोज,
चीर गया था, कोई सन्नाटों को,
छेड़ गया, नीरवता को,
अवाक था, मैं,
प्रश्न कई थे, उस पल में!
उस रोज,
किससे कहता मैं, सुनता कौन!
खड़ा यूं ही, रहा मौन,
यूं गिनता कौन!
वलय कई थे धड़कन में!
नीरव से, बहते उस पल में,
ठहरे से, जल में,
हलचल कितने थे, उस रोज!