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Saturday, 23 March 2024

वो कौन

वो कौन, छेड़े है मन वीणा के तार,
गा उठा धुन कोई नया,
ये जर्जर सितार!

वो कौन, जो पहले, स्वप्न सा आया,
फिर, पलकों में समाया,
इंद्रधनुष सी, कैसी, वो परछाईं,
छुई-मुई सी, मुरझाई,
है वो कोई भरम, टूटे जो पल-पल,
कैसा वहम, छूटे ना इक पल!

वो कौन..

मन की जमीं पे, वृक्ष सा वो उभरा,
बसंत सा वो जैसे संवरा,
नृत्य कर उठे, मृदु वे पात-दल,
हर ओर, जैसे हलचल,
दो नैन जैसे, झांकते हों हर-पल,
घेरे वे ही, एहसास पल-पल!

वो कौन..

आए चलकर, उतर कर बादलों से,
झांके छुपके, आंचलों से,
हृदय, धुन इक उसी की सुनाए,
सुनहरे गीत कोई गाए,
आज लय पर, थिरकते वे बादल,
गाने लगे हैं, संगीत कलकल!

वो कौन, छेड़े है मन वीणा के तार,
गा उठा धुन कोई नया,
ये जर्जर सितार!

Saturday, 15 April 2017

भरम वहम

इक भरम सा हुआ मन को,
चोरी चोरी चुपके किन्ही बातों से जरा डर गए वो,
वहम है ये मेरा या हकीकत है कोई वो!

शीतल सी कोई पवन है वो,
या चिंगारी सी जलती हुई दहकती अगन है वो,
लग रहा जैसे मेरा ही भरम है वो,
शायद थोड़ी डरी सहमी सी वहम है वो!

अब तो हर पल मन मे है वो,
चाहता है ये मन खूबसूरत सा वो वहम हर पल हो,
डरता है ये मन के भरम टूटे न वो,
बड़ी शिद्दत से पाला है दिल मे भरम को!

चुपके ही सही कुछ तो कहो,
न जाने ये पल, ये वहम, या कहीं हम कल हो न हो,
दास्ताँ कोई अनकही बन जाने तो दो,
बेसबर सा है ये मन ख्वाबों में आने तो दो।

इक भरम सा हुआ मन को,
चोरी चोरी चुपके किन्ही बातों से जरा डर गए वो,
वहम है ये मेरा या हकीकत है कोई वो!