Friday, 30 March 2018

किसलय

नील नभ के निलय में, खिल आए ये किसलय...

नव आशा के निलय से,
झांक रही वो कोमल किसलय,
इक नई दशा, इक नई दिशा,
करवट लेती इक नई उमंग का,
नित दे रही ये आशय....

नील नभ के निलय में, खिल आए ये किसलय...

कोमल सी इन कलियों में,
जन्म ले रहा इक जीवट जीवन,
बाधाओं को भी कर बाधित,
प्रतिकूल स्थिति को अनूकूल कर,
जिएंगी ये बिन संशय....

नील नभ के निलय में, खिल आए ये किसलय...

पंखुड़ियों पर ही खेलती,
प्रचन्ड रवि की ये उष्मा झेलती,
स्वयं नव ऊर्जा संचित कर,
जीने के ये खुद मार्ग प्रशस्त करती,
सुकोमल से ये किसलय....

नील नभ के निलय में, खिल आए ये किसलय...

10 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(१७-०५-२०२०) को शब्द-सृजन- २१ 'किसलय' (चर्चा अंक-३७०४) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  3. कोमल सी इन कलियों में,
    जन्म ले रहा इक जीवट जीवन,
    बाधाओं को भी कर बाधित,
    प्रतिकूल स्थिति को अनूकूल कर,
    जिएंगी ये बिन संशय....


    बहुत खूब ,अब उसी किसलय का इंतज़ार हैं जब हमारी भी परस्थितियाँ अनुकूल हो जाए ,सुंदर सृजन ,सादर नमन

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    1. बिल्कुल सही ...
      हार्दिक आभार व धन्यवाद आदरणीय

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  4. मेरा नाम भी किसलय है।अति सुन्दर पंक्ति।

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  5. अगर मेरे नाम का अर्थ पुछा जाता है तो अर्थ के साथ साथ इस कविता को भी मै बिहार लोक सेवा आयोग के साक्षात्कार मे प्रयोग करूंगा।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद किसलय जी। आपको अग्रिम शुभकामनाएँ।

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