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Friday, 30 March 2018

किसलय

नील नभ के निलय में, खिल आए ये किसलय...

नव आशा के निलय से,
झांक रही वो कोमल किसलय,
इक नई दशा, इक नई दिशा,
करवट लेती इक नई उमंग का,
नित दे रही ये आशय....

नील नभ के निलय में, खिल आए ये किसलय...

कोमल सी इन कलियों में,
जन्म ले रहा इक जीवट जीवन,
बाधाओं को भी कर बाधित,
प्रतिकूल स्थिति को अनूकूल कर,
जिएंगी ये बिन संशय....

नील नभ के निलय में, खिल आए ये किसलय...

पंखुड़ियों पर ही खेलती,
प्रचन्ड रवि की ये उष्मा झेलती,
स्वयं नव ऊर्जा संचित कर,
जीने के ये खुद मार्ग प्रशस्त करती,
सुकोमल से ये किसलय....

नील नभ के निलय में, खिल आए ये किसलय...