बंद पलकों तले, ढ़ूंढ़ता हूं वही छाँव मैं...
कुछ देर रुका था जहाँ, देखकर इक गाँव मैं....
अधलिखा सा इक अफसाना,
ख्वाब वो ही पुराना,
यूं छन से तेरा आ जाना,
ज्यूं क्षितिज पर रंग उभर आना..
और फिर....
फिजाओं में संगीत,
गूंजते गीत,
सुबह की शीत,
घटाओं का उड़ता आँचल,
हवाओं में घुलता इत्र,
पंछियों की चहक,
इक अनोखी सी महक,
चूड़ियों की खनक,
पत्तियों की सरसराहट,
फिर तुम्हारे आने की आहट,
कोई घबराहट,
काँपता मन,
सिहरता ये बदन,
इक अगन,
सुई सी चुभन,
फिर पायलों की वही छन-छन,
वो तुम्हारा पास आना,
वो मुस्कुराना,
शर्म से बलखाना,
वो अंकपाश में समाना,
वापस फिर न जाना,
मन में समाना,
अहसास कोई लिख जाना,
है अधलिखा सा इक वो ही अफसाना....
बंद पलकों तले, ढ़ूंढ़ता हूं वही छाँव मैं...
कुछ देर रुका था जहाँ, देखकर इक गाँव मैं....
कुछ देर रुका था जहाँ, देखकर इक गाँव मैं....
अधलिखा सा इक अफसाना,
ख्वाब वो ही पुराना,
यूं छन से तेरा आ जाना,
ज्यूं क्षितिज पर रंग उभर आना..
और फिर....
फिजाओं में संगीत,
गूंजते गीत,
सुबह की शीत,
घटाओं का उड़ता आँचल,
हवाओं में घुलता इत्र,
पंछियों की चहक,
इक अनोखी सी महक,
चूड़ियों की खनक,
पत्तियों की सरसराहट,
फिर तुम्हारे आने की आहट,
कोई घबराहट,
काँपता मन,
सिहरता ये बदन,
इक अगन,
सुई सी चुभन,
फिर पायलों की वही छन-छन,
वो तुम्हारा पास आना,
वो मुस्कुराना,
शर्म से बलखाना,
वो अंकपाश में समाना,
वापस फिर न जाना,
मन में समाना,
अहसास कोई लिख जाना,
है अधलिखा सा इक वो ही अफसाना....
बंद पलकों तले, ढ़ूंढ़ता हूं वही छाँव मैं...
कुछ देर रुका था जहाँ, देखकर इक गाँव मैं....
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