Thursday, 20 February 2020

आर-पार

यूँ हर घड़ी, मैं, किसकी बात करूँ!
क्यूँ मैं, उसी की बात करूँ?

हूँ मैं इस पार, या हूँ मैं उस पार,
जैसे दर्पण क़ोई, करे खुद का ही दीदार,
क्यूँ ना, मैं इन्कार करूँ!

यूँ हर घड़ी, मैं, उसी की बात करूँ!

यूँ बूँद कोई, कभी छलक आए,
चले पवन कोई, बहा दूर कहीं ले जाए,
बहकी, कोई बात करूँ!

यूँ हर घड़ी, मैं, उसी की बात करूँ!

हुई ओझल, कहीं तस्वीर कोई,
रंग ख्यालों में लिए, बनाऊं ताबीर कोई,
अजनबी, कोई रंग भरूँ!

यूँ हर घड़ी, मैं, उसी की बात करूँ!

निहारूँ राह वही, यूँ अपलक,
वो सूना सा फलक, कोई ना दूर तलक,
यूँ बेखुदी में, जाम भरूँ!

यूँ हर घड़ी, मैं, उसी की बात करूँ!

हूँ मैं इस पार, या हूँ मैं उस पार,
है परछाईं कोई, या वो कल्पना साकार,
यूँ मैं क्यूँ, इंतजार करूँ!

यूँ हर घड़ी, मैं, उसी की बात करूँ!
क्यूँ मैं, उसी की बात करूँ?

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

18 comments:

  1. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में शुक्रवार 21 फरवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. हूँ मैं इस पार, या हूँ मैं उस पार,
    है परछाईं कोई, या वो कल्पना साकार,
    यूँ मैं क्यूँ, इंतजार करूँ!
    सदैव की तरह मधुरता संग नवीनता लिये हुये आपका यह सृजन में मन को लुभाने वाला है।

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  3. प्रशंसनीय

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय राकेश जी।

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (21-02-2020) को "मन का मैल मिटाओ"(चर्चा अंक -3618) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    अनीता लागुरी"अनु"

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  5. वाह!बेहतरीन सृजन पुरुषोत्तम जी ।

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    1. नमन आदरणीया शुभा जी। बहुत दिनों बाद पुनः पटल पर आपको देखकर खुशी हुई ।

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  6. हूँ मैं इस पार, या हूँ मैं उस पार,
    है परछाईं कोई, या वो कल्पना साकार,
    यूँ मैं क्यूँ, इंतजार करूँ!

    बहुत खूब ...,सादर नमन आपको

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  7. बहुत ही सुन्दर....
    लाजवाब सृजन
    वाह!!!

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    1. आदरणीया सुधा देवरानी जी, प्रेरक शब्दों हेतु हृदयतल से आभार ।

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  8. Replies
    1. Thanks Dear Rajesh....
      Keep on ...Its really great to see you here on this platform ....you are close to my heart...

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