Sunday, 9 February 2020

तुम जो गए

तुम जो गए, ख्वाब कैसे बो गए!

लेते गर सुधि,
ऐ, सखी,
सौंप देता, ये ख्वाब सारे,
सुध जो हारे,
बाँध देता, उन्हें आँचल तुम्हारे,
पल, वो सभी,
जो संग, तेरे गुजारे,
रुके हैं वहीं,
नदी के, वो ठहरे से धारे,
बहने दे जरा,
मन,
या
नयन,
सजल, सारे हो गए, 
तुम जो गए!

तुम जो गए, ख्वाब कैसे बो गए!

सदियों हो गए,
सोए कहाँ,
जागे हैं, वो ख्वाब सारे,
बे-सहारे,
अनमस्क, बेसुध से वो धारे,
ठहरे वहीं,
सदियों, जैसे लगे हों,
पहरे कहीं, 
मन के, दोनों ही किनारे,
ये कैसे इशारे, 
जीते,
या 
हारे,
पल, सारे खो गए, 
तुम जो गए!

तुम जो गए, ख्वाब कैसे बो गए!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

12 comments:

  1. सदियों हो गए,
    सोए कहाँ,
    जागे हैं, वो ख्वाब सारे,
    बे-सहारे,

    कुछ को यह बसंत ऐसा भी उपहार दे जाता है। बेहद खूबसूरती से एक-एक शब्द से इस रचना को आपने संवारा है। अनसुनी वेदनाओं को भावनात्मक शब्दों का तोहफा देता आप का सृजन..
    सादर नमन..

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ आदरणीय शशी जी।

      Delete
  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 09 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २० मार्च २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
  4. वियोग पर बहुत बार
    बहुत सी कविताएं पढ़ने को मिलती है।
    और हर बार एक शख़्स बहुत याद आता है। आज भी ऐसा ही हुआ।
    बहुत सुंदर कविता।
    तुलना कमाल की।
    नई रचना- सर्वोपरि?

    ReplyDelete
  5. लेते गर सुधि,
    ऐ, सखी,
    सौंप देता, ये ख्वाब सारे,
    सुध जो हारे,
    बाँध देता, उन्हें आँचल तुम्हारे
    आदरणीय पुरुषोत्तम जी, अत्यंत कोमल भावों से सजी आपकी यह रचना मन छू गई। बहुत सुंदर बंध हैं कविता के।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सदैव आभारी हूँ आदरणीया आपका। आपने सदा ही प्रोत्साहित किया है। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आपको।

      Delete
  6. तन्हाई में किसी खास को पुकारता वीतरागी मन और मन के व्याकुल भावों की मार्मिक अभिव्यक्ति । आपकी रचनाओं की बात ही और है। सस्नेह शुभकामनायें पुरुषोत्त्सम् जी 🙏🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीया रेणु जी। उत्साहवर्धन हेतु कृतज्ञ हूँ ।

      Delete