Sunday, 12 July 2020

एकाकी

यूँ संग तुम्हारे,
देर तक, तकता हूँ, मैं भी तारे,
हो, तुम कहीं,
एकाकी हूँ, मैं कहीं,
हैं जागे,
रातों के, पल ये सारे!

यूँ तुमको पुकारे,
शायद तुम मिलो, नभ के किसी छोर पर,
कहीं, सितारों के कोर पर,
मिलो, उस पल में, किसी मोड़ पर,
एकाकी पल हमारे,
संग तुम्हारे,
व्यतीत हो जाएंगे, सारे!

यूँ बिन तुम्हारे,
शायद, ढूंढ़ते हैं, उस पल में, खुद ही को,
ज्यूँ थाम कर, प्रतिबिम्ब को,
मुखर है, झील में, ठहरा हुआ जल,
हैं चंचल ये किनारे,
और पुकारे,
बहते, पवन के इशारे!

यूँ संग हमारे,
चल रे मन, चल, फिर एकाकी वहीं चल!
अनर्गल, बिखर जाए न पल,
चल, थाम ले, सितारों सा आँचल,
नैनों में, चल उतारे,
वो ही नजारे,
जीत लें, पल जो हारे!

यूँ संग तुम्हारे,
देर तक, तकता हूँ, मैं भी तारे,
हो, तुम कहीं,
एकाकी हूँ, मैं कहीं,
हैं जागे,
रातों के, पल ये सारे!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

21 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 12 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बेहद सुंदर रचना

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  3. यूँ संग हमारे,
    चल रे मन, चल, फिर एकाकी वहीं चल!
    अनर्गल, बिखर जाए न पल,
    चल, थाम ले, सितारों सा आँचल,
    नैनों में, चल उतारे,
    वो ही नजारे,
    जीत लें, पल जो हारे!
    बेहद खूबसूरत,हृदयस्पर्शी रचना पुरुषोत्तम जी,सादर नमन आपको

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    1. सतत मनोबल बढाने के लिए आभारी हूँ आदरणीया कामिनी जी।

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  4. अरे वाह ! भावुक हृदय की कोमल अभिव्यक्ति ! बहुत ही सुन्दर रचना !

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    1. उत्साहवर्धन हेतु आभारी हूँ आदरणीया साधना जी।

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  5. बहुत खूब पुरुषोत्तम जी ! विरह विगलित अंतर्मन की भावपूर्ण भावाभियक्ति | एकाकी मन के संवाद जो बहुत मर्मस्प्रशी हैं | आपकी अपनी शैली की सुंदर रचना | हार्दिक शुभकामनाएं और आभार |

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  6. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14 -7 -2020 ) को "रेत में घरौंदे" (चर्चा अंक 3762) पर भी होगी,
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा


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  7. बहुत सुन्दर

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  8. यूँ संग तुम्हारे,
    देर तक, तकता हूँ, मैं भी तारे,
    हो, तुम कहीं,
    एकाकी हूँ, मैं कहीं,...मर्मस्पर्शी सृजन आदरणीय सर .

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    1. उत्साहवर्धन हेतु आभारी हूँ आदरणीया अनीता जी। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  9. बेहद हृदयस्पर्शी रचना आदरणीय

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    1. प्रेरक शब्दों हेतु हृदयतल से आभार आदरणीया अनुराधा जी। नमन।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय महोदय। शुक्रिया।

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