संक्षिप्त हुए, विस्तृत पटल पर रंगों के मेले!
संक्षिप्त हुए, समय के सरमाए,
हुई सांझ, वो जब आए,
बेवजह, ठहरे सितारों के काफिले,
हुए संक्षिप्त से!
संक्षिप्त से हो चले,
लम्बी होती, बातों के सिलसिले,
रुके, शब्दों के फव्वारे,
अंतहीन, रिक्त लम्हों से भरे,
दिन के, उजियारे,
रहे, कुछ अधखिले से फूल,
कुछ चुभते शूल,
संक्षिप्त से!
संक्षिप्त से, वो पल,
पल पल, विस्तृत होते, वो पल,
सिमटने लगे, वो कल,
खनके जो, कहीं वादियों में,
चुप से, हैं अब,
गुमसुम, यूँ हीं रिक्त से,
खुद में, लिप्त से,
संक्षिप्त से!
अतृप्त मन की जमीं, भीगी यूँ अलकों तले!
ऊँघती जगती सी, पलकों तले,
विलुप्त हुए, चैनो शुकुन,
बेवजह, लड़खड़ाते नींदों के पहरे,
हुए संक्षिप्त से!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
संक्षिप्त हुए, समय के सरमाए,
हुई सांझ, वो जब आए,
बेवजह, ठहरे सितारों के काफिले,
हुए संक्षिप्त से!
संक्षिप्त से हो चले,
लम्बी होती, बातों के सिलसिले,
रुके, शब्दों के फव्वारे,
अंतहीन, रिक्त लम्हों से भरे,
दिन के, उजियारे,
रहे, कुछ अधखिले से फूल,
कुछ चुभते शूल,
संक्षिप्त से!
संक्षिप्त से, वो पल,
पल पल, विस्तृत होते, वो पल,
सिमटने लगे, वो कल,
खनके जो, कहीं वादियों में,
चुप से, हैं अब,
गुमसुम, यूँ हीं रिक्त से,
खुद में, लिप्त से,
संक्षिप्त से!
अतृप्त मन की जमीं, भीगी यूँ अलकों तले!
ऊँघती जगती सी, पलकों तले,
विलुप्त हुए, चैनो शुकुन,
बेवजह, लड़खड़ाते नींदों के पहरे,
हुए संक्षिप्त से!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
सु न्दर सृ जन
ReplyDeleteकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाओं सहित हार्दिक आभार।
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।
कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाओं सहित हार्दिक आभार।
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.8.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाओं सहित हार्दिक आभार।
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 13 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर आभार दी।
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
बहुत-बहुत धन्यवाद! ईश्वर आपके जीवन में सुख समृद्धि लाएँ।
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