Tuesday, 11 August 2020

संक्षिप्त

संक्षिप्त हुए, विस्तृत पटल पर रंगों के मेले!
संक्षिप्त हुए, समय के सरमाए,
हुई सांझ, वो जब आए,
बेवजह, ठहरे सितारों के काफिले,
हुए संक्षिप्त से!

संक्षिप्त से हो चले,
लम्बी होती, बातों के सिलसिले,
रुके, शब्दों के फव्वारे,
अंतहीन, रिक्त लम्हों से भरे,
दिन के, उजियारे,
रहे, कुछ अधखिले से फूल,
कुछ चुभते शूल,
संक्षिप्त से!

संक्षिप्त से, वो पल,
पल पल, विस्तृत होते, वो पल,
सिमटने लगे, वो कल,
खनके जो, कहीं वादियों में,
चुप से, हैं अब,
गुमसुम, यूँ हीं रिक्त से,
खुद में, लिप्त से,
संक्षिप्त से!

अतृप्त मन की जमीं, भीगी यूँ अलकों तले!
ऊँघती जगती सी, पलकों तले,
विलुप्त हुए, चैनो शुकुन,
बेवजह, लड़खड़ाते नींदों के पहरे,
हुए संक्षिप्त से!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

10 comments:

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    1. कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाओं सहित हार्दिक आभार।

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  2. बहुत सुन्दर।
    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।

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    1. कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाओं सहित हार्दिक आभार।

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.8.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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    1. कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाओं सहित हार्दिक आभार।

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  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 13 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. बहुत सुन्दर।
    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद! ईश्वर आपके जीवन में सुख समृद्धि लाएँ।

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