दो तीर, चले मन,
अधीर,
अन्तः कोई पीर लिए मन!
इक तीर, ठहराव भरा,
विस्तृत, आशाओं का द्वार हरा,
दूजे, धार बड़ा,
पग-पग, इक मझधार खड़ा,
आशाएं, बांध चले मन!
छिछली सी, राहों पर,
अन्तहीन, उथली सी चाहों पर,
उस ओर चले,
जिस ओर, सन्नाटों सा शोर,
अल्हड़, मौन रहे मन!
सांझ, किरण कुम्हलाए,
निराशाओं के, बादल ले आए,
चले मौन पवन,
बांधे कब ढ़ाढ़स, तोड़ चले,
बंध, तोड़ बहे ये मन!
धूमिल सी, वो आशाएं,
छिछली सी, ये अंजान दिशाएं,
खींच लिए जाए,
थामे, धीरज का इक दामन,
सरपट, दौड़ चले मन!
दो तीर, चले मन,
अधीर,
अन्तः कोई पीर लिए मन!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 19 जून 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा धन्यवाद!
ReplyDeleteइक तीर, ठहराव भरा,
ReplyDeleteविस्तृत, आशाओं का द्वार हरा,
दूजे, धार बड़ा,
पग-पग, इक मझधार खड़ा,
आशाएं, बांध चले मन...बहुत सुंदर
सुंदर गीत
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteAtyant sunder abhivyakti. Aapko rachana hetu saadhuwad. Thanks for Sharing dear Sinha Saheb🌹🙏
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