स्मृति के, इस गहराते पटल पर,
अंकित, हो चले वो भी!
यूँ, आसान नहीं, इन्हें सहेजना,
मनचाहे रंगों को, अनचाहे रंगों संग सीना,
यूँ, अन्तःद्वन्दों से, घिर कर,
स्मृतियों संग, जीना!
पर, वक्त के, धुँधलाते मंज़र पर,
अमिट, हो चले वो भी!
यूँ, जीवन के इस ऊहापोह में,
रिक्त रहे, कितनी ही, स्मृतियों के दामन,
बिखरी, कितनी ही स्मृतियाँ,
सँवर जाते वो काश!
जीवन के, इस गहराते पथ पर,
संचित, हो चले वो भी!
यूँ कल, विखंडित होंगे, ये पल,
फिर भी, स्मृतियाँ, खटखटाएंगी साँकल,
देंगी, जीवन्त सा, एहसास,
अनुभूति भरे, पल!
सांध्य प्रहर, गहराते क्षितिज पर,
शामिल, हो चले वो भी!
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