स्मृति के, इस गहराते पटल पर,
अंकित, हो चले वो भी!
यूँ, आसान नहीं, इन्हें सहेजना,
मनचाहे रंगों को, अनचाहे रंगों संग सीना,
यूँ, अन्तःद्वन्दों से, घिर कर,
स्मृतियों संग, जीना!
पर, वक्त के, धुँधलाते मंज़र पर,
अमिट, हो चले वो भी!
यूँ, जीवन के इस ऊहापोह में,
रिक्त रहे, कितनी ही, स्मृतियों के दामन,
बिखरी, कितनी ही स्मृतियाँ,
सँवर जाते वो काश!
जीवन के, इस गहराते पथ पर,
संचित, हो चले वो भी!
यूँ कल, विखंडित होंगे, ये पल,
फिर भी, स्मृतियाँ, खटखटाएंगी साँकल,
देंगी, जीवन्त सा, एहसास,
अनुभूति भरे, पल!
सांध्य प्रहर, गहराते क्षितिज पर,
शामिल, हो चले वो भी!
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
यूँ, आसान नहीं, इन्हें सहेजना,
ReplyDeleteमनचाहे रंगों को, अनचाहे रंगों संग सीना,
यूँ, अन्तःद्वन्दों से, घिर कर,
स्मृतियों संग, जीना!
पर, वक्त के, धुँधलाते मंज़र पर,
अमिट, हो चले वो भी....सुंदर
विनम्र आभार आदरणीया
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (०७-०७-२०२१) को
'तुम आयीं' (चर्चा अंक- ४११८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
विनम्र आभार आदरणीया
Deleteजीवन भर स्मृतियों से घिरे रहते हैं हम ।सुन्दर रचना।
ReplyDeleteप्रतिक्रिया हेतु विनम्र आभार आदरणीया
Deleteयूँ कल, विखंडित होंगे, ये पल,
ReplyDeleteफिर भी, स्मृतियाँ, खटखटाएंगी साँकल,
देंगी, जीवन्त सा, एहसास,
अनुभूति भरे, पल!---गहन रचना
प्रतिक्रिया हेतु विनम्र आभार आदरणीय
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ReplyDeleteयूँ, आसान नहीं, इन्हें सहेजना,
मनचाहे रंगों को, अनचाहे रंगों संग सीना,
यूँ, अन्तःद्वन्दों से, घिर कर,
स्मृतियों संग, जीना!...सही कहा आपने,इंसान स्मृतियों के जाल में ही तो उलझा हुआ है,वरना किसी को,किसी बात का गम ही न हो।
प्रतिक्रिया हेतु विनम्र आभार आदरणीया
Deleteबहुत सुंदर स्मृतियों में गूंथा कल !!
ReplyDeleteलाजवाब।
प्रतिक्रिया हेतु विनम्र आभार आदरणीया
Deleteयूँ कल, विखंडित होंगे, ये पल,
ReplyDeleteफिर भी, स्मृतियाँ, खटखटाएंगी साँकल,
देंगी, जीवन्त सा, एहसास,
अनुभूति भरे, पल!
गहन विचार प्रकट हुए हैं। बहुत अच्छी कविता।
प्रतिक्रिया हेतु विनम्र आभार आदरणीया
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteप्रतिक्रिया हेतु विनम्र आभार आदरणीया
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteप्रतिक्रिया हेतु विनम्र आभार आदरणीया
Deleteजीवन की ऊहापोह में उलझे मन का स्वयं से भावपूर्ण संवाद | भावों की अभिव्यक्ति कोई आप से सीखे | शब्दों की पाठशाला है आपका ब्लॉग |यूँ ही लेखनी से भाव रचते रहिये |सादर
ReplyDeleteअभिनन्दन व विनम्र आभार आदरणीया रेणु जी।
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