Tuesday, 6 July 2021

ऊहापोह

स्मृति के, इस गहराते पटल पर,
अंकित, हो चले वो भी!

यूँ, आसान नहीं, इन्हें सहेजना,
मनचाहे रंगों को, अनचाहे रंगों संग सीना,
यूँ, अन्तःद्वन्दों से, घिर कर,
स्मृतियों संग, जीना!

पर, वक्त के, धुँधलाते मंज़र पर,
अमिट, हो चले वो भी!

यूँ, जीवन के इस ऊहापोह में,
रिक्त रहे, कितनी ही, स्मृतियों के दामन,
बिखरी, कितनी ही स्मृतियाँ,
सँवर जाते वो काश!

जीवन के, इस गहराते पथ पर,
संचित, हो चले वो भी!

यूँ कल, विखंडित होंगे, ये पल,
फिर भी, स्मृतियाँ, खटखटाएंगी साँकल,
देंगी, जीवन्त सा, एहसास,
अनुभूति भरे, पल!

सांध्य प्रहर, गहराते क्षितिज पर,
शामिल, हो चले वो भी!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

20 comments:

  1. यूँ, आसान नहीं, इन्हें सहेजना,
    मनचाहे रंगों को, अनचाहे रंगों संग सीना,
    यूँ, अन्तःद्वन्दों से, घिर कर,
    स्मृतियों संग, जीना!

    पर, वक्त के, धुँधलाते मंज़र पर,
    अमिट, हो चले वो भी....सुंदर

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (०७-०७-२०२१) को
    'तुम आयीं' (चर्चा अंक- ४११८)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  3. जीवन भर स्मृतियों से घिरे रहते हैं हम ।सुन्दर रचना।

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    1. प्रतिक्रिया हेतु विनम्र आभार आदरणीया

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  4. यूँ कल, विखंडित होंगे, ये पल,
    फिर भी, स्मृतियाँ, खटखटाएंगी साँकल,
    देंगी, जीवन्त सा, एहसास,
    अनुभूति भरे, पल!---गहन रचना

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    1. प्रतिक्रिया हेतु विनम्र आभार आदरणीय

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  5. यूँ, आसान नहीं, इन्हें सहेजना,
    मनचाहे रंगों को, अनचाहे रंगों संग सीना,
    यूँ, अन्तःद्वन्दों से, घिर कर,
    स्मृतियों संग, जीना!...सही कहा आपने,इंसान स्मृतियों के जाल में ही तो उलझा हुआ है,वरना किसी को,किसी बात का गम ही न हो।

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    1. प्रतिक्रिया हेतु विनम्र आभार आदरणीया

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  6. बहुत सुंदर स्मृतियों में गूंथा कल !!
    लाजवाब।

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    1. प्रतिक्रिया हेतु विनम्र आभार आदरणीया

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  7. यूँ कल, विखंडित होंगे, ये पल,
    फिर भी, स्मृतियाँ, खटखटाएंगी साँकल,
    देंगी, जीवन्त सा, एहसास,
    अनुभूति भरे, पल!
    गहन विचार प्रकट हुए हैं। बहुत अच्छी कविता।

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    1. प्रतिक्रिया हेतु विनम्र आभार आदरणीया

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    1. प्रतिक्रिया हेतु विनम्र आभार आदरणीया

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  9. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

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    1. प्रतिक्रिया हेतु विनम्र आभार आदरणीया

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  10. जीवन की ऊहापोह में उलझे मन का स्वयं से भावपूर्ण संवाद | भावों की अभिव्यक्ति कोई आप से सीखे | शब्दों की पाठशाला है आपका ब्लॉग |यूँ ही लेखनी से भाव रचते रहिये |सादर

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    1. अभिनन्दन व विनम्र आभार आदरणीया रेणु जी।

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