जैसे, धँस गई हो एक गोली उसके सीने के अन्दर भी......
चली थी अचानक ही गोली उरी की सीमा पर,
धँस गई थी एक गोली उसके सीने में भी आकर,
बिखर चुके थे सपने उसके लहू की थार संग,
सपने उन आँखों मे देकर, आया था वो सीमा पर...
उफ क्या बीती होगी उस धड़कते दिल पर,
अचानक रूँधा होगा कैसे उस अबला का स्वर,
रह रह कर उठते होंगे मन में अब कैसे भँवर,
जब उसे मिली होगी, रहबर के मरने की खबर....
गुम हुआ है उसके सर से आसमाँ का साया,
निर्जीव सा है जीवन, निढाल हुई उसकी काया,
शेष रह गईं है यादें और इन्तजार सदियों का,
पथराई सी आँखों में, चाह कहाँ अब जीवन का......
जैसे, धँस गई हो एक गोली उसके सीने के अन्दर भी.....
चली थी अचानक ही गोली उरी की सीमा पर,
धँस गई थी एक गोली उसके सीने में भी आकर,
बिखर चुके थे सपने उसके लहू की थार संग,
सपने उन आँखों मे देकर, आया था वो सीमा पर...
उफ क्या बीती होगी उस धड़कते दिल पर,
अचानक रूँधा होगा कैसे उस अबला का स्वर,
रह रह कर उठते होंगे मन में अब कैसे भँवर,
जब उसे मिली होगी, रहबर के मरने की खबर....
गुम हुआ है उसके सर से आसमाँ का साया,
निर्जीव सा है जीवन, निढाल हुई उसकी काया,
शेष रह गईं है यादें और इन्तजार सदियों का,
पथराई सी आँखों में, चाह कहाँ अब जीवन का......
जैसे, धँस गई हो एक गोली उसके सीने के अन्दर भी.....