Showing posts with label झूला. Show all posts
Showing posts with label झूला. Show all posts

Thursday, 13 February 2020

विहग - झूलती डाली

झूलती डाली, उड़ते-चहकते विहग,
जैसे, प्रसंग कोई छिड़ा हो,
गहन सी, कोई बात हो,
या, विहग, बिन-बात ही भिड़ा हो,
उलझ कर, साथ में,
फुर्र-फुर्र, वो कहीं उड़ा हो!

झूलती डाली, उड़-उड़ आते विहग,
प्रासंगिक सी, वो बात हो,
शुरु, फिर आप्रवास हो,
या, वियोग ही, विहग का बड़ा हो,
तीर, लग कर कोई,
जोड़ा, विहग का, मरा हो!

झूलती डाली, दूर-दूर तकते विहग,
बहेरी, पास ही खड़ा हो,
प्रसंग, वो ही बड़ा हो,
प्रश्न-चिन्ह, मानवता पर, लगा हो,
स्वार्थी, बहेरी ने ही,
लघु-मन को, झकझोरा हो!

झूलती डाली, विरह में डूबे विहग,
प्रसंग, जीवन से बड़ा हो,
जंग, कोई छिड़ा हो,
प्रश्न-चिन्ह, अस्तित्व पर लगा हो,
उस चह-चहाहट में, 
दर्द ही, विहग का घुला हो!

झूलती डाली, उड़ते-चहकते विहग,
जैसे, प्रसंग कोई छिड़ा हो,
गहन सी, कोई बात हो,
या, विहग, बिन-बात ही भिड़ा हो,
उलझ कर, साथ में,
फुर्र-फुर्र, वो कहीं उड़ा हो!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Tuesday, 30 July 2019

वो है अलबेला

वो है अलबेला,
वो ना भूला होगा!
फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!

फिर से, घिर आई है ये बदली,
वो खिल आई है, फिर जूही की कली,
इन हवाओं नें, फिर हौले से छुआ,
वो ही, कुछ कह रहा होगा!
वो है अलबेला,
वो ना भूला होगा!

फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!

सर्द सा, हो चला है ये मौसम,
बिखर सी गई हैं, हर तरफ ये शबनम,
वो भींग कर, हँस रही हैं कलियाँ,
देख, वो ही हँस रहा होगा!
वो है अलबेला,
वो न भूला होगा!

फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!

कोई गीत, गा रही है ये पवन,
या उसी के, धुन की है ये नई सरगम,
थिरक उठा, है फिर ये सारा जहाँ,
वो ही, फिर गा रहा होगा!
वो है अलबेला,
वो न भूला होगा!

फिर आएगा वो मौसम, फिर वो ही झूला होगा!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा