नमन आलिंगन नव प्रभात,
हे रश्मि किरण तुम्हारा,
हे रश्मि किरण तुम्हारा,
खुद अग्नि मे हो भस्म,
तम हरती करती उजियारा।
तम हरती करती उजियारा।
जनकल्यान परोपकार हेतु
पल-पल भस्म तू होती,
पल-पल भस्म तू होती,
ज्वाला ज्यों-ज्यों तेज होती,
प्रखर होती तेरी ज्योति ।
प्रखर होती तेरी ज्योति ।
विश्व मे पूजित हो पाने का,
अवश्यमभावी मंत्र यही है,
अवश्यमभावी मंत्र यही है,
निष्काम्-निःस्वार्थ परसेवा,
जीवन का आधार यही है।
जीवन का आधार यही है।
सीख सभ्यता को नितदिन,
तू देता निःशुल्क महान,
परमार्थ कार्य तू भी सीख,
तू देता निःशुल्क महान,
परमार्थ कार्य तू भी सीख,
मानव हो जगत कल्याण।