तुम मान लो आज मेरा कहा!
गीत कोई प्रीत का,
गुनगनाऊँ तेरे संग आज चल,
तार तेरे हृदय का,
छेड़ जाऊँ आज तू साथ चल।
आ चलें उन मंजिलों पर,
गम के बादल न पहुँचते हों जहाँ,
संग दूर तक चलते रहें,
अन्त रास्तों के न मिलते हों जहाँ।
मान लो तुम मेरा कहा,
संगीत की धुन तू इक नई बना,
लय, सुर, ताल कुछ मैं भरूँ,
नया तराना रोज तू मुझको सुना।
अब मान लो तुम मेरा कहा!
गीत कोई प्रीत का,
गुनगनाऊँ तेरे संग आज चल,
तार तेरे हृदय का,
छेड़ जाऊँ आज तू साथ चल।
आ चलें उन मंजिलों पर,
गम के बादल न पहुँचते हों जहाँ,
संग दूर तक चलते रहें,
अन्त रास्तों के न मिलते हों जहाँ।
मान लो तुम मेरा कहा,
संगीत की धुन तू इक नई बना,
लय, सुर, ताल कुछ मैं भरूँ,
नया तराना रोज तू मुझको सुना।
अब मान लो तुम मेरा कहा!