हे प्रिय, तुम मेरे हृदय का नेह निमंत्रण ले लो!
मेरा हृदय ले लो तुम प्रीत मुझे दे दो,
स्वप्नमय नैनों में मुग्ध छवि सी बसो,
स्मृति पलकों के चिर सुख तुम बनो।
हे प्रिय, तुम मेरा प्रीत निवेदन सुन लो!
मैं पाँवो की तेरे लय गति बन जाऊँ,
प्राणों मे तुझको भर गीत बन गाऊँ
तेरी चंचल नैनों का नींद बन जाऊँ।
हे प्रिय, तुम नैन किरण आमंत्रण सुन लो!
तूम जीवन की नित उषा सम उतरो,
मेरी परछाई बन रजनी सम निखरो,
चिर जागृति की तू स्वप्न सम सँवरो।
हे प्रिय, तुम अधरों का गीत तो सुन लो!
मैं सृष्टि प्रलय तलक तेरा संग निभाऊँ,
तेरी अधरों का अमृत पीकर इठलाऊँ,
तुझ संग सृष्टि वीणा का राग दुहराऊँ।
हे प्रिय, मेरे भावुक हृदय का नेह निमंत्रण स्वीकारो!