Showing posts with label निवेदन. Show all posts
Showing posts with label निवेदन. Show all posts

Friday, 29 January 2016

नेह निमंत्रण

हे प्रिय, तुम मेरे हृदय का नेह निमंत्रण ले लो!

मेरा हृदय ले लो तुम प्रीत मुझे दे दो,
स्वप्नमय नैनों में मुग्ध छवि सी बसो,
स्मृति पलकों के चिर सुख तुम बनो।

हे प्रिय, तुम मेरा प्रीत निवेदन सुन लो!

मैं पाँवो की तेरे लय गति बन जाऊँ,
प्राणों मे तुझको भर गीत बन गाऊँ
तेरी चंचल नैनों का नींद बन जाऊँ।

हे प्रिय, तुम नैन किरण आमंत्रण सुन लो!

तूम जीवन की नित उषा सम उतरो,
मेरी परछाई बन रजनी सम निखरो,
चिर जागृति की तू स्वप्न सम सँवरो।

हे प्रिय, तुम अधरों का गीत तो सुन लो!

मैं सृष्टि प्रलय तलक तेरा संग निभाऊँ,
तेरी अधरों का अमृत पीकर इठलाऊँ,
तुझ संग सृष्टि वीणा का राग दुहराऊँ।

हे प्रिय, मेरे भावुक हृदय का नेह निमंत्रण स्वीकारो!

Thursday, 28 January 2016

मान लो मेरा कहा

तुम मान लो आज मेरा कहा!

गीत कोई प्रीत का,
गुनगनाऊँ तेरे संग आज चल,
तार तेरे हृदय का,
छेड़ जाऊँ आज तू साथ चल।

आ चलें उन मंजिलों पर,
गम के बादल न पहुँचते हों जहाँ,
संग दूर तक चलते रहें,
अन्त रास्तों के न मिलते हों जहाँ।

मान लो तुम मेरा कहा,
संगीत की धुन तू इक नई बना,
लय, सुर, ताल कुछ मैं भरूँ,
नया तराना रोज तू मुझको सुना।

अब मान लो तुम मेरा कहा!