Showing posts with label शिकवे. Show all posts
Showing posts with label शिकवे. Show all posts

Tuesday, 31 July 2018

तन्हाईयाँ

हँस ले जी भर के,
आज मुझपे ऐ तन्हाईयाँ,
सजेंगी महफिलें,
तब आऊंगा बुलाने मैं तुझे,
जल जाएगा तू भी,
देखकर मेरी कहकशाँ....

चलो ये माना कि,
तन्हा है आज हम यहाँ,
न है वो काफिले,
न ही है सितारों का कारवाँ,
पर ये न समझो,
कि गमगीन हैं हम यहाँ....

गूंज हूं मैं अकेला,
संग गूंजेंगी ये विरानियाँ,
दो पग भी चले,
बन ही जाएंगी पगडंडियाँ,
पथिक भी होंगे,
यूं ही बजेंगी शहनाईयाँ....

झेंप जाओगे फिर,
देख मुझको ऐ तन्हाईयाँ,
आ मिल ले गले,
है बेकार की ये रुशवाईयाँ,
क्यूं शिकवे पले,
क्यूं ये शिकायत साथिया....