Showing posts with label साथी. Show all posts
Showing posts with label साथी. Show all posts

Sunday, 10 April 2016

उम्र के साथी

आ गई अब उम्र वो, तलाशता हूँ जिन्दगी को,
उम्र की इस दहलीज पे, साथ मेरे कोई तो हो।

कभी मगन हो लिए हम, खुद अपने ही आप में,
फिर कभी तलाशता हूँ, खुद में अपने आप को।

कहते हैं जिन्हे अपना हम, दिखते हैं वो दूर से,
पास अपनी इक जिन्दगी, क्युँ रहें हम मायूश से।

जिन्दगी की प्यारी सी धुन, हर घड़ी बजती रहे,
साए सी तुम संग-संग रहो, जिन्दगी चलती रहे।

तन्हा हैं जो इस सफर में, हम उनकी जिन्दगी बनें,
कुछ लम्हें जिन्दगीे, संग उनके भी हम गुजार लें।

खिल-खिलाएगी ये जिन्दगी, जहाँ तेरे कदम पड़े,
तलाशेंगी ये तुमको खुशी, उठकर आप कहाँ चले।

उम्र गुजर जाएगी ये, जिन्दगी के आस-पास ही,
साथी तेरे कहलाएंगे ये, इस जिन्दगी के बाद भी।

Monday, 14 March 2016

खालीपन का प्रेम

कभी कभी एक अनचाहा सा खालीपन .........

और ऐसे में कभी कभी,
कुछ लम्हे ज़िन्दगी के,
सुकून से बिताने को मन करता है ,,,,
और कभी कुछ पाने, कुछ खोने,
किसी को अपना बनाने,
या ऐसे मे किसी के होने का मन करता है .....,

इन लम्हों में बस एक साथी है मेरा....
जो हर पल हर समय साथ होता है मेरे,
मेरे सुख और मेरे दुःख की वेला में,
मेरे जीवन में रंग भरने का काम करता है,
वो है मेरी डायरी "जीवन कलश"
और उसका नि:स्वार्थ आजीवन प्रेमी 'कलम " ......

थिरकता है वो लम्हा जब,
दोनो एक दुसरे से मिल जाते है,
और बिछड़ने का नाम ही नहीं लेते है....,,,,
कोई मेरा साथ दे या न दे....
मेरा कोई हमदम हो या न हो,
ये आकण्ठ भर देते हैं मेरे खालीपन को.....

लगता है जैसे.....
सब कुछ मिल चुका है मुझे,,,,,,
मेरी हमदम मेरी आगोश मे है,
गुदगुदा रही है ये जैसे मेरी मानस को,
मेरी एहसासों को सुरखाब के पर लग जाते हैं तब......