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Thursday, 29 August 2019

धुंधली शाम

हो फिर वही, डूबती धुंधली सी शाम!

हो बिखरी हुई, बेकरारियाँ,
हो सिमटी हुए, दामन में घड़ियाँ,
हों बहके हुुुए, सारे लम्हे यहाँ,
चलते रहे, हाथों को थाम!

हो फिर वही, डूबती धुंधली सी शाम!

हो, हल्की सी कहीं रौशनी,
सुरमई गीत, गा रही हो चाँदनी,
हल्की सी हो, फ़िजा जामुनी,
छलके हों, हल्के से जाम!

हो फिर वही, डूबती धुंधली सी शाम!

धुंधली सी हो, हजारों बातें,
हो बस वही, सितारों सी आँखें,
मंंद ना हो, ये रौशन सौगातें,
खोए रहे, उम्र ये तमाम!

हो फिर वही, डूबती धुंधली सी शाम!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा