हो फिर वही, डूबती धुंधली सी शाम!
हो बिखरी हुई, बेकरारियाँ,
हो सिमटी हुए, दामन में घड़ियाँ,
हों बहके हुुुए, सारे लम्हे यहाँ,
चलते रहे, हाथों को थाम!
हो सिमटी हुए, दामन में घड़ियाँ,
हों बहके हुुुए, सारे लम्हे यहाँ,
चलते रहे, हाथों को थाम!
हो फिर वही, डूबती धुंधली सी शाम!
हो, हल्की सी कहीं रौशनी,
सुरमई गीत, गा रही हो चाँदनी,
हल्की सी हो, फ़िजा जामुनी,
छलके हों, हल्के से जाम!
सुरमई गीत, गा रही हो चाँदनी,
हल्की सी हो, फ़िजा जामुनी,
छलके हों, हल्के से जाम!
हो फिर वही, डूबती धुंधली सी शाम!
धुंधली सी हो, हजारों बातें,
हो बस वही, सितारों सी आँखें,
मंंद ना हो, ये रौशन सौगातें,
खोए रहे, उम्र ये तमाम!
हो बस वही, सितारों सी आँखें,
मंंद ना हो, ये रौशन सौगातें,
खोए रहे, उम्र ये तमाम!
हो फिर वही, डूबती धुंधली सी शाम!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (31-08-2019) को " लिख दो ! कुछ शब्द " (चर्चा अंक- 3444) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
सादर आभार आदरणीया।
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