सच कहूं तो, आसान नहीं सच कह पाना,
और कठिन बड़ा, सच सुन पाना!
सच का दामन, ज्यूं कांटों का आंगन,
चुभ जाते हैं, ये अक्सर,
कठिन बड़ा, ये पीड़ सह पाना!
इक शख्स, अलग ही होगा दर्पण में,
सम्मुख, अक्श भिन्न सा,
शायद, कर न पाओगे सामना!
जाओगे किधर, सच से मुंह फेरकर,
धिक्कारेगा, जमीर कल,
मुश्किल, तब खुद को थामना!
ह्रदय की मन्द गति में, एक नदी है,
पल नहीं, ये एक सदी है,
प्रबल बड़ा, यह सत्य जानना!
सच कहूं तो, आसान नहीं सच कह पाना,
और कठिन बड़ा, सच सुन पाना!
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