जरा सा बहक गए, वो जब साथ मेरे,
रुबरु हो गये, सारे ख्वाब मेरे!
चंद लम्हे ही रहे, बस वो साथ मेरे,
ऐसा लगा, जैसे वो है कितने खास मेरे,
जग से गए, सोए एहसास मेरे
उम्र सारी, जीने लगे सारे ख्वाब मेरे!
जरा सा बहक गए, वो जब साथ मेरे,
रुबरु हो गये, सारे ख्वाब मेरे!
रुबरु इक आवाज, हुआ साथ मेरे,
हर-पल गूँज बनकर, वो रहा साथ मेरे,
मधु सी मिठास, बातों में भरे,
अब न रहते उदास, सारे ख्वाब मेरे!
जरा सा बहक गए, वो जब साथ मेरे,
रुबरु हो गये, सारे ख्वाब मेरे!
न जाने, ये क्या हुआ था साथ मेरे,
ऐसा लगा, मैं खुद न था अब साथ मेरे,
कुछ मेरा, अब न था पास मेरे,
रुबरु यूँ हुए, मुझसे सारे ख्वाब मेरे!
जरा सा बहक गए, वो जब साथ मेरे,
रुबरु हो गये, सारे ख्वाब मेरे!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
रुबरु हो गये, सारे ख्वाब मेरे!
चंद लम्हे ही रहे, बस वो साथ मेरे,
ऐसा लगा, जैसे वो है कितने खास मेरे,
जग से गए, सोए एहसास मेरे
उम्र सारी, जीने लगे सारे ख्वाब मेरे!
जरा सा बहक गए, वो जब साथ मेरे,
रुबरु हो गये, सारे ख्वाब मेरे!
रुबरु इक आवाज, हुआ साथ मेरे,
हर-पल गूँज बनकर, वो रहा साथ मेरे,
मधु सी मिठास, बातों में भरे,
अब न रहते उदास, सारे ख्वाब मेरे!
जरा सा बहक गए, वो जब साथ मेरे,
रुबरु हो गये, सारे ख्वाब मेरे!
न जाने, ये क्या हुआ था साथ मेरे,
ऐसा लगा, मैं खुद न था अब साथ मेरे,
कुछ मेरा, अब न था पास मेरे,
रुबरु यूँ हुए, मुझसे सारे ख्वाब मेरे!
जरा सा बहक गए, वो जब साथ मेरे,
रुबरु हो गये, सारे ख्वाब मेरे!
वाह बहुत खूब
ReplyDeleteशुक्रिया आभार आदरणीय रीतु आसुजा जी।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (03-03-2019) को "वीर अभिनन्दन ! हार्दिक अभिनन्दन" (चर्चा अंक-3263) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आदरणीय ।
Deleteबहुत खूब....,सादर नमन
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया कामिनी जी।
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteशुक्रिया आभार आदरणीय ओंकार जी
Delete
ReplyDeleteचंद लम्हे ही रहे, बस वो साथ मेरे,
ऐसा लगा, जैसे वो है कितने खास मेरे,
जग से गए, सोए एहसास मेरे
उम्र सारी, जीने लगे सारे ख्वाब मेरे!
बेहतरीन रचना
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया अनुराधा जी
Deleteरुबरु इक आवाज, हुआ साथ मेरे,
ReplyDeleteहर-पल गूँज बनकर, वो रहा साथ मेरे,
मधु सी मिठास, बातों में भरे,
अब न रहते उदास, सारे ख्वाब मेरे!...वाह !बहुत ख़ूब आदरणीय
सादर
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया अनीता जी
Deleteबहुत मनभावन रचना आदरणीय कविवर। किसी का पल दो पल के साथ की यादें जीवन की अनमोल थाती बन जाती है।
ReplyDeleteचन्द लमहे ही रहे वो साथ मेरे
ऐसा लगा हैं वो कितने खास मेरे।
किसी खास को समर्पित खास रचना आदरणीय पुरुषोत्तम जी। सादर, सस्नेह शुभकामनाएँ।
शुक्रिया आभार आदरणीय ।
Delete
ReplyDeletehttps://www.activehindi.com/
सुंदर है आपका website।
Deleteइस पर क्या आप मुझे भी जोड़ सकते हैं?