सांझ सकारे, झील किनारे,
वो कौन पुकारे, जानूं ना, मैं जानूं ना!
मन की गली, जाने कहाँ, मुड़ जाए,
तन ये कहे, चलो वही, कहीं चला जाए,
सांझ सकारे, गली वो पुकारे!
अपने मेरे, मन के, वहीं मिल जाए,
सपन मेरे, शायद वहीं, कहीं खिल जाए,
सांझ सकारे, चाह वो पुकारे!
वो कौन डगर, वो नजर, नहीं आए,
जाऊँ मैं ठहर, जो नजर, वो कहीं आए,
सांझ सकारे, राह वो पुकारे!
रुके जो कदम, तो लगे, वो बुलाए,
चले जो पवन, सनन-सनन, सांए-सांए,
सांझ सकारे, रे कौन पुकारे!
धुंध जो हटे, ये मन, उन्हें ले आए,
पलकों की छाँव, वो गाँव, ढूंढ़ ही लाए,
सांझ सकारे, वो ठाँव पुकारे!
सांझ सकारे, झील किनारे,
वो कौन पुकारे, जानूं ना, मैं जानूं ना!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
वो कौन पुकारे, जानूं ना, मैं जानूं ना!
मन की गली, जाने कहाँ, मुड़ जाए,
तन ये कहे, चलो वही, कहीं चला जाए,
सांझ सकारे, गली वो पुकारे!
अपने मेरे, मन के, वहीं मिल जाए,
सपन मेरे, शायद वहीं, कहीं खिल जाए,
सांझ सकारे, चाह वो पुकारे!
वो कौन डगर, वो नजर, नहीं आए,
जाऊँ मैं ठहर, जो नजर, वो कहीं आए,
सांझ सकारे, राह वो पुकारे!
रुके जो कदम, तो लगे, वो बुलाए,
चले जो पवन, सनन-सनन, सांए-सांए,
सांझ सकारे, रे कौन पुकारे!
धुंध जो हटे, ये मन, उन्हें ले आए,
पलकों की छाँव, वो गाँव, ढूंढ़ ही लाए,
सांझ सकारे, वो ठाँव पुकारे!
सांझ सकारे, झील किनारे,
वो कौन पुकारे, जानूं ना, मैं जानूं ना!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
वाह बहुत सुंदर गीत
ReplyDeleteआदरणीया अभिलाषा जी, प्रेरक शब्दों हेतु आभारी हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद ।
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