पृष्ठ पलटता, गुजर चुका है वर्ष पुराना,
रच कर, इक अलग पृष्ठभूमि,
निर्मित कर, गुजरा सा इक जमाना,
बीत चला, वो वर्ष पुराना!
बात करूँ, या यूँ खामोश रहूँ?
दरिया था, चुपचाप उसे था बह जाना,
ओढ़ी थी, उसने भी खामोशी,
बंदिशों में, मुश्किल था बंध जाना,
बीत चला, यूँ वर्ष पुराना!
क्या कहूँ, किसकी बात करूँ?
वो क्षण था, हर पल था ढ़लते जाना,
डूबते हर क्षण, साँसें थी रूँधी,
मुश्किल था, हर वो क्षण भूलाना,
बीत चला, जो वर्ष पुराना!
रंज सहूँ, या यूँ रंजिशों में रहूँ?
मन कहता, असहज सा है उसे भुलाना,
अब तक रुका, मैं वहीं कहीं,
कैसे भूल जाऊँ, वो संगीत सुहाना,
बीत चला, जो वर्ष पुराना!
थाम लूँ, हाथों में ये जाम लूँ,
दिल कहता, फिर आएगा वो जमाना,
रची थी, उसने ही ये पृष्ठभूमि,
वो जानता है, पृष्ठों में ढ़ल जाना,
बीत चला, जो वर्ष पुराना!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
नववर्ष 2020 की शुभकामनाओं सहित
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २४ दिसंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
हार्दिक आभार आदरणीया श्वेता जी।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (24-12-2019) को "अब नहीं चलेंगी कुटिल चाल" (चर्चा अंक-3559) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार आदरणीय मयंक जी।
Deleteवाहः
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया
Deleteबहुत सुन्दर। बीते वर्ष को भूलना वाकई इतना आसान नहीं...
ReplyDeleteआपकी प्रतिक्रिया हेतु आभारी हूँ आदरणीय प्रकाश जी।
Deleteक्या कहूँ, किसकी राह तकूँ?
पृष्ठ पलटता, गुजर चुका है वर्ष पुराना,
रच कर, इक अलग पृष्ठभूमि,
निर्मित कर, गुजरा सा इक जमाना,
बीत चला, वो वर्ष पुराना!
बात करूँ, या यूँ खामोश रहूँ?
दरिया था, चुपचाप उसे था बह जाना,
ओढ़ी थी, उसने भी खामोशी,
बंदिशों में, मुश्किल था बंध जाना,
बीत चला, यूँ वर्ष पुराना!....बेहतरीन सृजन आदरणीय
सादर
कविता पर आपकी धनात्मक प्रतिक्रिया हेतु आभारी हूँ आदरणीया अनीता जी।
Delete
ReplyDeleteथाम लूँ, हाथों में ये जाम लूँ,
दिल कहता, फिर आएगा वो जमाना,
रची थी, उसने ही ये पृष्ठभूमि,
वो जानता है, पृष्ठों में ढ़ल जाना,
बीत चला, जो वर्ष पुराना!
वाह!!!
बहुत ही लाजवाब सृजन...
अपनी प्रतिक्रिया के माध्यम से सतत प्रेरित करने हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया सुधा देवरानी जी।
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