Sunday, 8 March 2020

रंग

ओ 
बेजार से रंग,
छलक 
जाओ!

बड़े 
बेरंग हैं, 
कई दामन,
बड़े 
बदरंग हैं 
कई
आँचल,
जाओ, 
रंग उनमें, 
जरा 
भर आओ!

हो 
उदासीन बड़े!
क्यूँ हो?
तुम,
दूर खड़े,
तुम तो,
खुद
बिसरे
कि
तुम 
हो रंग
बड़े,
कर दो
दंग,
जरा
बिखर जाओ,
हैं,
रंगहीन से,
कई
सपने,
सप्त-रंग सा,
उमर
जाओ!

तुम 
जो रूठे 
हो तो
रूठी 
है 
ये दुनियाँ,
सूनी
है 
मांग कई,
हुई 
फीकी
सी
नई 
चूड़ियाँ,
कोई
रंग,
बेरंग न हो,
बरस
जाओ!

ओ 
बेजार से रंग, 
छलक 
जाओ! 

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

6 comments:

  1. सुप्रभात जी। बहुत सुन्दर रचना।
    होलीकोत्सव के साथ
    अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की भी बधाई हो।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार आदरणीय मयंक जी। सप्रेम आपको भी होली व महिला दिवस की हार्दिक बधाई ।

      Delete
  2. बहुत खूब
    बेजार से रंग छलक जाओ...वाह।

    नई पोस्ट - कविता २

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय रोहितास जी।

      Delete
  3. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (09-03-2020) को महके है मन में फुहार! (चर्चा अंक 3635)    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    होलीकोत्सव कीहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete