Monday, 30 March 2020

हे मेरे ईश्वर

आशा हमें, है विश्वास तुम पर,
कि तुझको है खबर, तू ही रखता नजर,
समग्र, सृष्टि पर,
हे मेरे ईश्वर!

तूने ही बनाए, सितारे ये सागर,
छलका है तुझसे, मेरे मन का ये गागर,
अंधेरे बड़े हैं, तू कर दे उजागर,
अपनी, कृपा कर,
हे मेरे ईश्वर!

तुझ ही से, खिले ये फूल सारे,
बनाए है तुमने ही, प्रकृति के ये नजारे,
मुरझा गए हैं, तु वृष्टि जरा कर,
इतनी, दया कर,
हे मेरे ईश्वर!

विपदा बड़ी, संकट की घड़ी,
कोई बाधा विकट सी, सामने है खड़ी,
मुश्किल ये घड़ी, भव-पार कर,
विपदा, जरा हर,
हे मेरे ईश्वर!

निर्मात्री तुम, तुम ही संहारक,
तुम ही विनाशक, तुम ही कष्ट-हारक,
तेरे विधान का ही, है ये असर,
निर्माण, अब कर,
हे मेरे ईश्वर!

आशा हमें, है विश्वास तुम पर,
कि तुझको है खबर, तू ही रखता नजर,
समग्र, सृष्टि पर,
हे मेरे ईश्वर!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
  (सर्वाधिकार सुरक्षित)

10 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 30 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. आशा हमें, है विश्वास तुम पर,
    कि तुझको है खबर, तू ही रखता नजर,
    समग्र, सृष्टि पर,
    हे मेरे ईश्वर!
    बहुत खूब... ,ईश्वर की कृपा हम सभी पर बनी रहे ,सादर नमन

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    1. ईश्वर की कृपा आप और आपके समस्त परिवार पर बनी रहे।
      आभार।

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  3. बहुत सुन्दर।
    संक्रमण काल में ईश्वर का ही सहारा है।

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  4. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31 -3-2020 ) को " सर्वे भवन्तु सुखिनः " ( चर्चाअंक - 3657) पर भी होगी,
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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  6. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय नीतीश जी।

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