कोई बताए! गुनाह है क्या गरीब होना भी?
चीथडों में लिपटा है इक गरीब,
क्या पाया है उसने भी नसीब ?
मिला उसको भी हैै एक शरीर,
कहलाता वो भी है इक इंसान।
चीथडों में लिपटा है इक गरीब,
क्या पाया है उसने भी नसीब ?
मिला उसको भी हैै एक शरीर,
कहलाता वो भी है इक इंसान।
मानव श्रृंखला की वो इक कड़ी,
श्रृंखला ये उसके बिन पूरी नहीं,
नंगा वो,पर है अहमियत उसकी,
गरीब मर जाना उसकी नियति?
श्रृंखला ये उसके बिन पूरी नहीं,
नंगा वो,पर है अहमियत उसकी,
गरीब मर जाना उसकी नियति?
सोचता हूँ,क्या जीवन है ये भी?
संवेदना गुम कहाँ इन्सानों की ?
विसंगति कैसी! ये श्रृंखला की?
गुनाह है! क्या गरीब होना भी?
सोंचे क्या संवेदनशील इन्सान हैं आप भी?
संवेदना गुम कहाँ इन्सानों की ?
विसंगति कैसी! ये श्रृंखला की?
गुनाह है! क्या गरीब होना भी?
सोंचे क्या संवेदनशील इन्सान हैं आप भी?